नालंदा में जेडीयू उम्मीदवार को कड़ी चुनौती, क्या फिर चलेगा ‘ब्रैंड नीतीश’?

  नई दिल्ली 
बिहार के नालंदा में 'ब्रैंड नीतीश' सभी चुनावी फैक्टरों पर भारी पड़ता दिख रहा है। इसके अलावा मौजूदा जेडीयू सांसद कौशलेंद्र कुमार के खराब काम को लेकर जनता में दिख रहा असंतोष भी शामिल है। नालंदा में बिहार के सीएम नीतीश कुमार की पकड़ का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 2014 के आम चुनाव में जबरदस्त 'मोदी लहर' के बीच भी जेडीयू नालंदा सीट को जीतने में कामयाब रही थी। इसके अलावा पूर्णिया की सीट भी जेडीयू के खाते में गई थी।  

हालांकि, इस बार ऐसी चर्चाएं हैं कि नालंदा में कौशलेंद्र को महागठबंधन के मजबूत उम्मीदवार से क़ड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा। आरजेडी के नेतृत्व वाले महागठबंधन के उम्मीदवार अशोक कुमार आजाद चंद्रवंशी, जीतन राम मांझी की पार्टी HAM से हैं। स्थानीय लोगों का मानना है कि अशोक कुमार जैसा मजबूत उम्मीदवार नालंदा में नीतीश के प्रभाव को खत्म कर सकता है क्योंकि उनके मौजूदा एमपी ने पिछले चुनाव में 10,000 वोटों से ही जीत दर्ज की थी। 

क्या कहना है स्थानीय लोगों का 
हरनौट में एक 22 वर्षीय दुकानदार पवन कुमार कहते हैं, 'नालंदा में जो कुछ काम हुआ है, वह नीतीश कुमार की वजह से ही है। जेडीयू उम्मीदवार ने शायद ही कोई काम खुद से किया है। इसके अलावा, कौशलेंद्र यहां से दो बार जीत चुके हैं, इसलिए अब लगता है कि दूसरे व्यक्ति को भी एक मौका दिया जा सकता है।' वहीं नंदबीगा गांव के मनोज सिन्हा बताते हैं, 'जेडीयू कार्यकर्ता हमारे गांव में प्रचार तक करने नहीं आए हैं और हाल ही में सीएम की जनसभा में भी यहां से बहुत ज्यादा लोग नहीं गए, लेकिन लोग उनको ही वोट देंगे। 

नालंदा से और कोई नहीं जीतेगा, बल्कि सिर्फ नीतीश जी के नाम पर ही कोई जीतेगा। जहां कोयरी और कुर्मी जेडीयू के लिए वोटिंग करेंगे, वहीं पासवान, ईबीसी और महादलित एनडीए गठबंधन के चलते जेडीयू को ही वोट देंगे।' एक अनुमान के मुताबिक, नालंदा संसदीय क्षेत्र में सबसे ज्यादा वोट कुर्मी (करीब 25%), ईबीसी (25%), यादव (20%), मुस्लिम (8%), कुशवाहा (10%) और अपर कास्ट (9%) है। 

महागठबंधन उम्मीदवार आजाद ने अपने पक्ष में जनता का साथ मिलने का दावा किया है। आजाद कहते हैं, 'मैं यह स्वीकार करता हूं कि यहां सबसे ज्यादा कुर्मी वोटर हैं, लेकिन ईबीसी वोटर की संख्या भी ज्यादा है। ईबीसी के साथ एससी, दलित, अल्पसंख्यक और यादव समेत कई दूसरे वोटर्स हमारे साथ हैं। नीतीश ने उन्हें दरकिनार किया है। उन्होंने सिर्फ अपने समुदाय (कुर्मी) के लिए काम किया है।' 

इस बीच, कौशलेंद्र अपनी जीत को लेकर काफी भरोसेमंद दिखते हैं। उन्होंने हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, 'इस बार हम एनडीए का हिस्सा हैं और मैं अपनी जीत के प्रति सुनिश्चित हूं। मुझे भरोसा है कि इस बार मैं 4 लाख से ज्यादा वोटों के अंतर से जीतूंगा क्योंकि मेरे साथ नीतीश और मोदी दोनों के नाम हैं।' 

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