350वें प्रकाशोत्सव में 66 लाख के घोटाले का खुलासा, 9 पुलिसकर्मी सस्पेंड
पटना
बिहार में मनाए गए गुरु गोविंद सिंह जी महाराज के 350वें प्रकाशोत्सव से अंतरराष्ट्रीय पटल पर बिहार की छवि काफी बेहतर बनी थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई गणमान्य लोगों ने इस प्रकाशोत्सव में शिरकत की थी. लेकिन इसी प्रकाशोत्सव के कारण आज बिहार की प्रतिष्ठा दांव पर लग गई है. 350वें प्रकाशोत्सव के आयोजन में 66 लाख रुपए के घोटाले का मामला सामने आया है. खुलासे से पूरे विभाग में खलबली मच गई है. फिलहाल 9 पुलिसकर्मी सस्पेंड कर दिए गए हैं.
दरअसल, पटना एसएसपी के लेखा शाखा से जुड़े इस मामले में हुए खुलासे ने पटना पुलिस मुख्यालय से लेकर राज्य पुलिस मुख्यालय तक हड़कंप मचा है. पुलिस विभाग को प्रकाशोत्सव में साज-सज्जा से लेकर सिपाहियों के खान-पान की व्यवस्था भी खुद करनी थी. लेकिन इस आड़ में जिन तीन फर्मों को भुगतान करना था, उनके भुगतान के नाम पर अवैध निकासी कर ली गई. भुगतान दो बार कर दिया गया.
मामला तब प्रकाश में आया जब तत्कालीन एसएसपी मनु महाराज ने मामले के छह माह बाद पिछले दिसंबर में इस मामले की जांच कर आईजी पटना से कार्रवाई की अनुशंसा की. आईजी के निर्देश पर डीआईजी राजेश कुमार ने कार्रवाई करते हुए एक हेड क्लर्क और दो लेखापाल को सस्पेंड कर दिया. बाद में सात सिपाहियों को भी निलंबित कर दिया गया. तत्कालीन ग्रामीण एसपी और चंपारण के मौजूदा डीआईजी ललन मोहन प्रसाद और एक अन्य एएसपी को कारण बताओ का नोटिस दिया गया है.
डीआईजी ने इस पूरे मामले में पटना एसएसपी को लेखा शाखा का ऑडिट करने का भी आदेश दिया है. एसएसपी गरिमा मलिक ने कहा है कि आलाधिकारियों के आदेश का पालन किया जाएगा. लेकिन बिहार पुलिस एसोसिएशन ने इस बड़े घोटाले में केवल निचले स्तर पर कर्मियों पर निलंबन की कार्रवाई पर नाराजगी जताई है. एसोसिएशन के अध्यक्ष नरेंद्र कुमार धीरज ने इस मामले में बड़े पुलिस अधिकारियों पर भी कार्रवाई की मांग की है. हालांकि डीआईजी का दावा है कि जांच के बाद जो भी लोग दोषी पाए जाएंगे सभी पर कार्रवाई की जाएगी.
देखना होगा कि अपने दामन पर लगे इस दाग को पुलिस महकमा कैसे छुड़ा पाता है. फिलहाल इस मामले कई पुलिस अधिकारियों की नींद उड़ा दी है क्योंकि यह मामला कभी भी उनके गले का फांस बन सकता है.