24 वर्षों बाद बन रहा स्वतंत्रता दिवस व रक्षाबंधन का महासंयोग

पटना 
श्रावण पूर्णिमा गुरुवार 15 अगस्त को राखी का त्यौहार मनेगा। इसी दिन स्वतंत्रता दिवस भी है। इस बार रक्षाबंधन पर ग्रह-गोचरों का भी महासंयोग भी बन रहा है। भद्रा का भी साया नहीं रहेगा। ऐसे में बहनें दिनभर भाइयों की कलाइयों पर राखी बांध सकेंगी। ज्योतिषाचार्य प्रियेंदू प्रियदर्शी के अनुसार रक्षाबंधन पर स्वतंत्रता दिवस का महासंयोग 24 वर्षों के बाद बना है। दूसरी ओर श्रवण नक्षत्र है जो चंद्रमा का नक्षत्र है। यह सौभाग्य कारक है। सूर्य कर्क राशि में और चंद्रमा मकर राशि में रहेंगे। 

भाई-ज्योतिषाचार्य पीके युग ने कहा कि मान्यता है कि गुरु बृहस्पति ने देवराज इंद्र को दानवों पर विजय प्राप्त करने के लिए अपनी पत्नी से रक्षा सूत्र बांधने को कहा था। इसके बाद इंद्र को विजय मिली थी। इसलिए इस बार गुरुवार का संयोग विशेष महत्व का है। बृहस्पति चार माह से वक्री हैं पर राखी से चार दिन पहले सीधी चाल हो जाएंगे। भाई के कारक ग्रह मंगल में मार्गी होना और गुरुवार को राखी होना भाइयों के लिए खास है। इससे बहन-भाइयों पर गुरु की खास कृपा बरसेगी। 

रक्षाबंधन का मुहूर्त
– प्रात: 5.35 बजे से शाम 5.58 बजे 
– अपराह्न : दोपहर 1.20 से 3.55 बजे तक
– श्रावण पूर्णिमा
– 14 अगस्त अपराह्न 3.45 बजे से
15 अगस्त- शाम 5.58 बजे तक

भाई-बहनों पर मंगल की भी कृपा मिलेगी 
रक्षाबंधन पर मंगल की कृपा मिलेगी। मंगल 7 मई से अंगारक योग और नीचस्थ स्थिति में थे। पीके युग के मुताबिक रक्षाबंधन से पहले से अपने प्रिय मित्र और ग्रहों के राजा सूर्य की राशि सिंह में प्रवेश करेंगे। यह भाई-बहनों के लिए लाभदायी रहेगी। वहीं इस दिन वेशि भौम योग भी बनेगा, क्योंकि मंगल सूर्य से द्वितीय भाव में रहेंगे। 

विष्णु भगवान ने बांधे थे राजा बलि को रक्षासूत्र 
रक्षाबंधन पर्व को लेकर कई पौराणिक कथाएं हैं। इसमें एक राजा बलि व विष्णु भगवान का है। दूसरा मुगल शासक हुमायूं व रानी कर्णावती से संबंधित है। पुराणों के मुताबिक त्रेता युग में विष्णु भगवान ने दानवों के राजा बलि को वरदान देते हुए रक्षा सूत्र बांधा था। दानशीलता में प्रसिद्ध राजा बलि ने यज्ञ में वामन वेश में आए विष्णु भगवान को वर मांगने को कहा। भगवान ने दो ही पग में धरती व आसमान को नाप लिया। भगवान ने कहा तीसरा पग कहां रखूं तो बलि ने अपना शरीर अर्पित कर दिया। विष्णु भगवान प्रसन्न हुए और वरदान दिए। वहीं रानी कर्णावती ने एक बार अपने राज्य को बचाने के लिए मुगल राजा को राखी भेजी थी। हुमायूं ने राखी की लाज रखी और रानी की मदद में आगे आए।

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