बढ़ते वजन को कंट्रोल करना है तो इस तरह खाएं सलाद, मिलेगा ज्यादा फायदा

 
नई दिल्ली
फायदासलाद खाना सेहत के लिए बहुत अच्छा होता है। यह बात हम सभी जानते हैं। इसलिए फलों से लेकर सब्जियों और स्प्राउट्स की सलाद हमारे यहां खूब खाई जाती है। जबकि कुछ लोग या कहिए कि सलाद के शौकीन ज्यादातर लोग अपने शरीर को सलाद का पूरा पोषण नहीं दे पाते। क्योंकि उन्हें सलाद खाने का सही तरीका ही नहीं  
सलाद हमेशा ही भोजन से पहले खानी चाहिए। जबकि लगभग 90 प्रतिशत लोग सलाद का सेवन खाने के साथ करते हैं। इससे उनके शरीर को सलाद का पूरा लाभ नहीं मिल पाता है। बल्कि कई बार डायजेशन से संबंधित समस्याएं हो जाती है।
 
जब आपको भूख लगी हो या आपने जो भी अपने लंच और डिनर का समय तय कर रखा है, उससे कम से कम आधा घंटा पहले सलाद खा लें। इसके बाद लंच या डिनर लें। इससे आपके शरीर को पूरा पोषण मिलेगा और ओवर इटिंग से छुटकारा भी।

वेट रहता है कंट्रोल
सलाद अगर सही तरीके से खाई जाए तो इससे वेट को कंट्रोल रखने में मदद मिलती है। यह हमारे पाचनतंत्र को सही रखती है और पेट साफ करने में मदद करती है। यह शरीर में एक्सट्रा फैट जमा होने से रोकती है और हमें ओवर ईटिंग से भी बचाती है। जिससे हमारा वजन नियंत्रित रहता है।

सलाद के तरीके
आमतौर पर सलाद दो तरीके से बनाई जाती है। पहला तरीका का कच्चा सलाद, जिसमें आप फल और सब्जियों को काटकर मिक्स करते हैं और मसाला छिड़ककर सैलेड तैयार कर लेते हैं। जबकि दूसरा तरीका है वॉइल करके सैलेड तैयार करना। इसमें सब्जियों को उबालकर उनका पानी अलग करके सलाद तैयार किया जाता है। लेकिन आप कोई-सी भी सलाद खाए आपको इसे फुल मील के साथ नहीं खाना है।

क्यों ना खाएं भोजन संग सलाद?
सलाद चाहे जैसे भी बनाई गई हो। अगर यह फलों या सब्जियों से तैयार की गई है तो आमतौर पर इनकी प्रकृति ठंडी होती है (हम यहां किसी रेसिपी विशेष की बात नहीं कर रहे हैं। क्योंकि हर तरह के भोजन को एक साथ डिस्क्राइब या कंपेयर नहीं किया जा सकता) जबकि पका हुआ भोजन गर्म होता है। ऐसे में ठंडे गर्म का संगम, सिर्फ शरीर ही नहीं दांतों को भी हानि पहुंचाता है।

पाचन में अधिक समय
सलाद तापमान में ठंडी होती है और भोजन तापमान में गर्म होता है। जब कच्चा और पका हुआ भोजन एक साथ खाया जाता है तो इससे हमारे पाचनतंत्र पर अधिक दबाव पड़ता है। क्योंकि इसे पचाने के लिए हमें अतिरिक्त ऊर्जा की जरूरत होती है। साथ ही ऐसा भोजन डायजेस्ट करने में अधिक समय भी लगता है, जिससे कई बार डायजेस्टिव सिस्टम गड़बड़ा जाता है।

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