सूचना आयोग ने RTI के तहत परीक्षकों की जानकारी उजागर करने से किया मना

भोपाल 
मध्य प्रदेश सूचना आयोग ने उत्तर पुस्तिका की जांच करने वाले परीक्षकों की जानकारी उजागर करने से मना कर दिया है. राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने बताया कि ऐसी जानकारी को पब्लिक प्लेटफॉर्म पर लाने से परीक्षा प्रणाली की निष्पक्षता प्रभावित हो सकती है. साथ ही असफल परीक्षार्थी अपनी कॉपी जांचने वाले परीक्षकों के खिलाफ बदले की भावना के तहत कार्रवाई भी कर सकते हैं.

दरअसल, सतना के अधिवक्ता योगेंद्र प्रताप सिंह ने वर्ष 2017 में कक्षा 9 और 11 की वार्षिक परीक्षा में सभी परीक्षकों की विषयवार सूची मांगी थी. योगेंद्र ने सूचना आयोग में अपनी अपील के दौरान दलील दी थी कि जानकारी सामने आने से परीक्षाफल में फर्जीवाड़ा का उजागर होगा. इस पर राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने कहा कि किसी उत्तर पुस्तिका में अनियमितताओं की जांच के लिए पहले से ही सूचना के अधिकार के तहत छात्र को उत्तर पुस्तिकाओं के निरीक्षण करने का प्रावधान है. अपीलार्थी आयोग को ये बताने में असमर्थ रहे कि मांगी गई जानकारी से किस तरह से और कौन सी अनियमितताओं का खुलासा होगा.

राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने भोपाल में आयोग की  सुनवाई के दौरान कहा कि पारदर्शिता के नाम पर आयोग ऐसी स्तिथि का निर्माण नहीं करना चाहता, जिससे शिक्षा के क्षेत्र में अराजकता का माहौल पैदा हो. उन्होंने ये भी कहा कि अगर परीक्षकों के नाम को उजागर कर दिया जाए, तो शिक्षा के क्षेत्र में इसका बुरा प्रभाव पड़ेगा और दबंग तत्वों द्वारा परीक्षा के नतीजों को प्रभावित करने की चेष्टा भी की जा सकता है.

राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने अधिवक्ता योगेंद्र प्रताप सिंह की अपील पर आपत्ति जताते हुए कहा कि आयोग परीक्षकों की सुरक्षा को खतरे में नहीं डालना चाहता है. एक बार अगर परीक्षकों के नाम का खुलासा हो गया, तो हो सकता है अगली परीक्षा में कोई परीक्षार्थी इन परीक्षकों को संपर्क करने की कोशिश करे.

राज्य सूचना आयुक्त ने अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट के सिविल अपील क्रमांक 824-2016 के केस जिसमें केरल सर्विस कमीशन के विरुद्ध केरल सूचना आयोग के फैसले का भी उल्लेख है. इसके तहत इस तरह की जानकारी नहीं दी जानी चाहिए. साथ ही आयोग ने इस मामले में सूचना के अधिकार अधिनियम की धारा 8 (1) की उपधारा (e) में वैश्वासिक नातेदारी का जिक्र है. वहीं धारा 8 (1) की उपधारा (j) में तीसरे पक्ष से संबंधित व्यक्तिगत जानकारी का उल्लेख है, जिसे प्रभावी मानते हुए अपीलार्थी की अपील को खारिज कर दिया है.

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