रायगढ़ की प्रगती सतपथी ने छत्तीसगढ़ में किया टॉप, हासिल किया 84वां रैंक

रायगढ़

रायगढ़. सीबीएसई बोर्ड में 10वीं कक्षा में शहर के बोईदादर निवासी प्रगति शतपथी राज्य में पहला और देश में तीसरी रैंक हासिल कर जिले सहित पूरे राज्य का मान बढ़ाया है। ओपी जिंदल स्कूल में पढऩे वाली प्रगति न्यूरो सर्जन बनकर लोगों की सेवा करना चाहती हैं।
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने कुछ दिन पूर्व ही 12वीं के परिणाम घोषित किए थे।

इसमें रायगढ़ की बेटी राशि अग्रवाल ने राज्य के टॉप टेन की सूची में दूसरा स्थान पाया था। इस सफलता के बाद सोमवार को 10वीं बोर्ड के परिणाम घोषित हुए तो एक बार फिर जिले की बेटी ने राज्य में पहला स्थान और देश में तीसरा स्थान लाकर मान बढ़ाया है। ओपी जिंदल स्कूल में पढऩे वाली छात्रा प्रगति सतपथी ने प्रदेश में प्रथम स्थान हासिल किया है। उसने ऑल इंडिया रैंकिंग में भी तीसरी पोजीशन लाकर राज्य का मान बढ़ाया है।

बोईरदादर क्षेत्र के रहने वाले उपेंद्र सतपथी जो कि जिला कोर्ट में वकील हैं और उनकी पत्नी पुर्णमासी सतपथी जो कि जिला कोर्ट में रीडर हैं दोनों ही अपनी बेटी प्रगति की इस प्रगति से काफी गदगद हैं। उनकी दो बेटियां हैं पहली प्रगति और दूसरी श्रष्टि सतपथी हैं। दोनों बहने ओपी जिंदल स्कूल में पढ़ती हैं। प्रगति कक्षा 10वीं तो श्रष्टि 6वीं की छात्रा है। बोर्ड द्वारा जारी परिणाम के अनुसार प्रगति के 500 में 497 अंक हासिल करते हुए पूरे प्रदेश में पहला स्थान और ऑल इंडिया में हुई रैंकिंग में तीसरी रैंक हासिल कर पूरे जिले का मान बढ़ाया है।

प्रगति सतपथी ने पत्रिका से खास बातचीत में बताया कि वह आगे मेडिकल के क्षेत्र में जाना चाहती हैं और न्यूरोसर्जन बनकर गरीबों की सेवा करना चाहती हैं। दसवीं की परीक्षा के साथ ही साथ मेडिकल के क्षेत्र में जाने के लिए प्रगति अपनी तैयारी जारी रखे हुए है। 10वीं में मिली अभूतपूर्व सफलता के बाद प्रगति ने बायोलॉजी लेकर आगे की पढ़ाई करने का निर्णय लिया है, जिससे कि वह न्यूरोसर्जन बन सकें। प्रगति ने इसके लिए कोटा जाकर अपनी तैयारी भी शुरू कर दी है।

रुचि हो तो समय की नहीं रहती बाध्यता
टॉपर प्रगति सतपथी ने चर्चा के दौरान बताया कि किसी भी काम में अगर रुचि हो तो उसे समय में नहीं बांधा जाता है। न्यूरो सर्जन बनना मेरा लक्ष्य है और 10वीं में अच्छा अंक हासिल करना भी मेरा लक्ष्य था। पढ़ाई में मेरी शुरू से रुचि रही है जिसके कारण मुझे खुद नहीं पता कि मै प्रतिदिन कितने घंटे पढ़ाई करती थी।

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