भोपाल में बने फर्जी दस्तावेज लेकर सेना भर्ती में पहुंचे युवक, 86 पकड़े गए

भोपाल/विदिशा
मध्य प्रदेश के विदिशा जिले में रविवार को सेना भर्ती के लिए दौड़ का आयोजन किया गया था। इस दौरान सबसे चौंकाने वाले मामले सामने अए। करीब 86 अभ्यर्थी फर्जी दस्तावेज के साथ पकड़े गए। इनमें फर्जी आधार कार्ड, मार्कशीट, मूलनिवासी शामिल था। चौंकाने वाला खुलाया ये हुआ कि इनमें से अधिकतर फर्जी दस्तावेज राजधानी की हुजूर तहसील से बनाए गए थे। इस बात की जानकारी अधिकारियों ने दी है। जब राजधानी में ही फर्जी दस्तावेज अफसरों की नाक के नीचे बनाए जा रहे हैं तो प्रदेश के अन्य इलाकों में फर्जीवाड़े का अंदाजा लगाया जा सकता है। 

दरअसल, सेना भर्ती के लिए विदिशा जिले के फिजिकल टेस्ट के लिए चार दिन से एसएटीआई ग्राऊंड पर भर्ती रैली चल रही थी। रविवार को सिर्फ छिंदवाड़ा और राजधानी भोपाल के ही अभ्यर्थियों को टेस्ट में शामिल किया गया था। अधिकारी ने बताया कि रविवार को दोनों तहसील से करीब 2040 उम्मीदवार शामिल होने आए थे। इनमें से 292 उम्मीदवार टेस्ट में पास हो गए हैं। दस्तावेजों के सत्यापन के दौरान पाया गया कि 86 उम्मीदवारों ने फर्जी दस्तावेज जमा किए थे। इनमें मूलनिवासी, आधार कार्ड और शिक्षा से संबंधित दस्तावेज शामिल थे। हालांकि, किसी पर भी मामला दर्ज नहीं किया गया है। 

कर्नल मानस दीक्षित जो भर्ती प्रक्रिया को देख रहे थे, उन्होंने बताया कि 86 उम्मीदवारों के दस्तावेज सही नहीं पाए गए हैं। उन्होंने कहा कि सत्यापन के दौरान दस्तावेज फर्जी पाए गए। भिंड और मुरैना जिले के छात्र जिन्होंंने दसवीं और 12 वीं पास की है उनके मूलनिवासी राजधानी भोपाल से बने हैं। ये पाया गया है कि ज्यादातर दस्तावेज भोपाल से बनवाए गए हैं। उन्होंने कहा कि अभ्यर्थियों का सही पता लगाना काफी कठिन था लेकिन हम इस बात को लेकर निश्चित थे कि वह भोपाल के रहने वाले नहीं है। ये पूरा षड्यंत्र दलालों का रचा है। उन्हें खबर थी कि यहां सेना भर्ती होने वाली है इसलिए उन्होंने अभ्यर्थियोंं को भटकाने के लिए फर्जी दस्तावेज का सहारा लेने की कोशिश की है। मैं सभी उम्मीदवारों को एक संदेश देना चाहता हूं कि ऐसे लोगों को सेना भर्ती से दूर रहना चाहिए जो गलत मंशा से आना चाहते हैं। अगर वह सोचते हैं कि गलत दस्तावेजों से सेना में भर्ती हो जाएंगे तो वह गलत सोच रहे हैं हम ऐसे उम्मीदवारों को पकड़ लेंगे। इस बीच पकड़े गए छात्रों ने सेना के अधिकारियों को बताया कि ऑनलाइन आवेदन प्राप्त करने से शुरू होने वाले सभी फर्जी दस्तावेजों को प्राप्त करने के लिए उन्हें 20000 से 25000 रुपये का भुगतान करना पड़ता था, और अगर अलग से चाहते थे तो प्रत्येक दस्तावेज के लिए अतिरिक्त शुल्क थे।

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