बिहार: मंत्रिपरिषद विस्‍तार कर नीतीश कुमार ने बीजेपी के साथ लिया ‘बदला’

पटना
केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार में एक मंत्री पद दिए जाने के ऑफर को ठुकराने के तीन दिन बाद बिहार के मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को अपने मंत्रिपरिषद का विस्‍तार किया और जेडीयू से 8 नए मंत्री शामिल किए। नीतीश ने राज्‍य में अपने सहयोगी दल बीजेपी को एक मंत्री पद देने का ऑफर दिया था लेकिन उसने मना कर दिया। माना जा रहा है कि नीतीश कुमार ने अपने इस मंत्रिपरिषद विस्‍तार के जरिए बीजेपी से 'बदला' ले लिया है।

बिहार के डेप्‍युटी सीएम और बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी ने इस बात की पुष्टि की है कि उनकी पार्टी को एक मंत्री बनाए जाने का ऑफर दिया गया था लेकिन उन्‍होंने इसे फिलहाल मना कर दिया है और 'भविष्‍य में इसे भरा' जाएगा। यही नहीं एनडीए के एक और सहयोगी दल लोक जनशक्ति पार्टी को भी इस विस्‍तार में शामिल नहीं किया गया है। राज्‍य में अब 33 मंत्री हैं जबकि 243 सदस्‍यीय विधानसभा में मंत्रियों की अधिकतम संख्‍या 36 है। इनमें से अभी एक मंत्री बीजेपी, एक एलजेपी और एक जेडीयू का बनाया जा सकता है।

एक मंत्री पद स्‍वीकार नहीं करने के बाद जेडीयू की नाराजगी बनी हुई है और वह अन्‍य एनडीए दलों के विपरीत मोदी मंत्रिपरिषद में 'समानुपातिक प्रतिनिधित्‍व' चाहती है। दरअसल, जेडीयू केंद्र में 2 से 3 मंत्री पद चाहती है लेकिन इससे बीजेपी के लिए संकट पैदा हो जाएगा क्‍योंकि महराष्‍ट्र में उसकी सहयोगी पार्टी शिवसेना के जेडीयू से ज्‍यादा सांसद हैं। कहा जाता है कि राजनीति संभावनाओं का खेल है लेकिन रविवार को जेडीयू ने जोर देकर कहा कि यह उनकी पार्टी का 'अंतिम फैसला' है कि वह केंद्र में एनडीए सरकार में शामिल नहीं होगी।

क्‍या फिर अलग होंगे जेडीयू और बीजेपी?
जेडीय और बीजेपी के फिर से अलग होने की संभावना नहीं है और इसकी वजह विधानसभा चुनाव है। राज्‍य में अगले साल चुनाव होने हैं। वर्ष 2015 में हुए विधानसभा चुनाव में जेडीयू और बीजेपी को आरजेडी के हाथों कई सीटें गंवानी पड़ी थीं। आरजेडी पिछले चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनकर सामने आई थी। इसके अलावा पांच राज्‍यसभा सांसद रिटायर होने जा रहे हैं, इसमें तीन जेडीयू और दो बीजेपी से हैं। इन सीटों के लिए अगले साल चुनाव होना है।

चूंकि राज्‍यसभा में बीजेपी और एनडीए को बहुमत नहीं है, इसको देखते हुए एक ऐसे राज्‍य में जहां से 16 राज्‍यसभा सांसद चुनकर जाते हैं, बीजेपी-जेडीयू का साथ में रहना राजनीतिक रूप से दोनों दलों के लिए अनिवार्य है। बता दें कि जेडीयू करीब 17 साल तक एनडीए में शामिल रहने के बाद वर्ष 2013 में बीजेपी के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले नरेंद्र मोदी को पीएम पद का प्रत्‍याशी बनाए जाने के बाद उससे अलग हो गई थी। वर्ष 2017 में लालू यादव की आरजेडी और कांग्रेस से मतभेद के बाद नीतीश कुमार ने फिर से बीजेपी के साथ हाथ मिला लिया था।

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