बंटवारे से बड़ा पलायन, 70% को अभी इंतजार

नई दिल्ली
कोरोना महामारी के कारण देश विभाजन के बाद सबसे बड़ा पलायन झेल रहा है। देश में विभिन्न राज्यों में फंसे मजदूरों के लिए रेलवे ने अबतक करीब 2,050 ट्रेनें चलाई हैं लेकिन बावजूद इसके अभी भी 70 फीसदी लोगों को अपने घर जाने का इंतजार है। बता दें कि कोरोना के कारण देश में लॉकडाउन 4 जारी है। हालांकि इस चरण में राज्यों ने कई सारी छूटें दी हैं लेकिन जहां तक प्रवासियों की बात है तो उनके लिए मुसीबतें कम नहीं हुई हैं।

श्रमिक स्पेशल से 30 को घर पहुंचाया गया

रेलवे ने 2,050 श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाकर लॉकडाउन के कारण फंसे 30 लाख से अधिक प्रवासी मजदूरों, छात्रों और पर्यटकों को अपने घर तक पहुंचाया है। लेकिन विभिन्न राज्यों से मिले आंकड़ों के मुताबिक अब भी बड़ी संख्या में लोगों को घर लौटने के लिए ट्रेनों या बसों का इंतजार है। हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक महाराष्ट्र, दिल्ली, कर्नाटक, हरियाणा और पंजाब से केवल 30 फीसदी प्रवासी ही अपने घर लौटने में कामयाब रहे हैं।

अब रेलवे की 350 ट्रेनें चलाने की तैयारी
सूत्रों के मुताबिक रेलवे ने 30 लाख प्रवासी मजदूरों को घर पहुंचाने के लिए योजना बनाई थी लेकिन अब लगता है कि यह संख्या कहीं ज्यादा है। यही वजह है कि रेलवे अब मांग रहने तक रोज 300 से 350 ट्रेनें चलाने को तैयार है। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि 50 फीसदी श्रमिक स्पेशल ट्रेनों (1,054) का गंतव्य उत्तर प्रदेश था और 25 फीसदी (562) बिहार में खत्म हुईं।

महाराष्ट्र में 20 लाख रजिस्ट्रेशन
उन्होंने कहा कि गुजरात ने 636 श्रमिक ट्रेनों को रवाना किया जो किसी भी राज्य से चली अधिकतम ट्रेनें हैं। गोयल ने इस काम के लिए उत्तर प्रदेश और गुजरात के मुख्यमंत्रियों की तारीफ की। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल, राजस्थान और झारखंड जैसे कुछ राज्य इन ट्रेनों के जरिए प्रवासियों को उनके घर तक पहुंचाने में सहयोग नहीं कर रहे हैं।

रजिस्ट्रेशन कराने वालों का तांता
महाराष्ट्र से मिले आंकड़ों के मुताबिक राज्य में फंसे 20 लाख प्रवासियों ने घर जाने के लिए राज्य प्रशासन के पास पंजीकरण करवाया था। इनमें से करीब 5 लाख लोग स्पेशल ट्रेनों के जरिए अपने घर पहुंच गए हैं। मुंबई पुलिस के सूत्रों के मुताबिक शहर में 3.5 लाख प्रवासियों ने घर वापसी के लिए पुलिस के पास पंजीकरण करवाया था। इनमें से दो लाख से अधिक प्रवसी स्पेशल ट्रेनों के जरिए निकल चुके हैं। इससे साफ है कि बड़ी संख्या में राज्य के दूसरे शहरों में फंसे प्रवासियों को घर वापसी के लिए अपनी बारी का इंतजार है।

श्रमिक स्पेशल ट्रेनों की मांग में आ सकती है कमी
दिल्ली में फंसे करीब 4 लाख प्रवासियों ने घर वापसी के लिए पंजीकरण करवाया है लेकिन बुधवार तक केवल करीब 65 हजार लोग ही अपने घर रवाना हुए थे। कर्नाटक के मामले में करीब 7.88 लाख प्रवासियों ने पंजीकरण करवाया है और बुधवार तक इनमें से करीब 1.6 लाख लोग स्पेशल ट्रेनों के जरिए घर निकल चुके हैं। लेकिन सूत्रों ने संभावना जताई कि निर्माण गतिविधियां बहाल होने से इनमें से कई लोग घर वापसी की योजना टाल सकते हैं। रेलवे मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि शहरी इलाकों में आर्थिक गतिविधियों के बहाल होने से श्रमिक स्पेशल ट्रेनों की मांग में कमी आ सकती है।

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