पीएनबी की चांदी तो इंडियन बैंक को हो सकता है नुकसान

 नई दिल्ली
ऐंकर लेंडर्स यानी पंजाब नैशनल बैंक, केनरा बैंक, यूनियन बैंक और इंडियन बैंक का परफॉर्मेंस उनमें मिलाए जाने वाले बैंकों से बेहतर रह सकता है। पब्लिक सेक्टर बैंकों में पिछले दौर के कंसॉलिडेशन में जब विजया बैंक और देना बैंक को बैंक ऑफ बड़ौदा में मिलाया गया था तब मर्जर में स्वैप रेशियो सबसे मजबूत बैंक के हक में गया था। चारों बैंकों के प्रस्तावित विलय से होने वाले वैल्यू क्रिएशन की जहां तब बात है तो विश्लेषकों के हिसाब से सबसे ज्यादा वैल्यू क्रिएशन केनरा बैंक और सिंडिकेट बैंक के कंसॉलिडेशन से होगा। सबसे ज्यादा नुकसान इंडियन बैंक को होगा क्योंकि उसमें मिलाए जा रहे इलाहाबाद बैंक का नेट नॉन परफॉर्मिंग असेट उसकी नेटवर्थ से ज्यादा है। 10 सरकारी बैंकों के मर्जर के लिए शेयर स्वैप रेशियो फिलहाल तय नहीं हुआ है और इन पर बहुत कुछ निर्भर करेगा।

केनरा बैंक और सिंडिकेट बैंक
दोनों बैंकों का नॉन परफॉर्मिंग लोन रेशियो कमोबेश एकसमान स्तर पर है और इनकी पूंजी का लेवल थोड़ा ऊंचा है। इसलिए इनके विलय में शेयर स्वैप रेशियो का ज्यादा असर नहीं होगा। विलय होने के बाद बैंक का CET 1 (कॉमन इक्विटी टीयर 1 कैपिटल) 9% होगा जो दूसरे पब्लिक सेक्टर बैंकों से ज्यादा है। CET 1 की मिनिमम रिक्वायरमेंट 4.5% की है और इसका ग्रॉस NPL (नॉन परफॉर्मिंग एसेट) रेशियो 9.7% होगा जो मर्जर से बनने वाले चार बड़े बैंकों में सबसे कम है। दोनों बैंकों की मौजूदगी एक एरिया में होने से मर्जर के चलते उनकी लागत में बड़ी गिरावट आ सकती है क्योंकि इसके चलते बहुत से ब्रांच और सर्विस की ओवरलैपिंग होगी यानी मर्जर से बने बैंक के पास उन्हें रेशनलाइजिंग करने का ऑप्शन होगा। इसके चलते बैंक की प्राइसिंग पावर बढ़ेगी और दो बैंकों का मर्जर तीन बैंकों के मर्जर के मुकाबले ज्यादा आसान होगा।

PNB, OBC और यूनाइटेड बैंक
मर्जर वाले बैंकों में PNB का CET 1 मौजूदा 6.2% से बढ़कर 7.5% हो जाएगा। मर्जर से बनने वाले बैंक को सरकार से ₹16,000 करोड़ रुपये का फ्रेश कैपिटल हासिल हो सकता है लेकिन इसका ऊंचा एनपीएल स्ट्रेस बढ़ा सकता है। PNB, OBC और यूनाइटेड बैंक का GNPL यानी ग्रॉस एनपीएल क्रमश: 15.5%, 12.7% और 16.5% होगा। इनके प्रति ब्रांच एंप्लॉयीज की संख्या सबसे ज्यादा जबकि ग्रॉस लोनबुक और एंप्लॉयीज का अनुपात सबसे कम होगा जिससे बैंक को स्टाफ कॉस्ट में कमी लाने में बड़ी सहूलियत होगी। लेकिन बैंक को इसका फायदा लंबे समय में मिलेगा।

यूनियन बैंक, आंध्रा बैंक और कॉरपोरेशन बैंक
तीनों बैंकों का मर्जर सबसे कम फायदेमंद होगा और जो होगा उसे हासिल होने बहुत वक्त लगेगा। इन बैंकों में जियोग्राफिकल और कल्चरल लेवल पर बड़ा फर्क है, जिससे इनका इंटीग्रेशन काफी चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है। इसके अलावा मर्जर से बनने वाले बैंक का GNPL रेशियो चारों में सबसे ज्यादा 15.5% जबकि 8.6% का CET-1 (कॉमन इक्विटी टायर) होगा। सरकार मर्जर से बनने वाले बैंक में ₹11,700 करोड़ रुपये का निवेश करेगी।

इंडियन बैंक और इलाहाबाद बैंक
इस मामले में सरकार अपने सबसे बैंक को सबसे खराब बैंक में मिलाने जा रहा है। इंडियन बैंक का GNPL 7.1% है जो सभी 12 बैंकों में सबसे कम है जबकि इलाहाबाद बैंक का GNPL सबसे ज्यादा 18% है। इलाहाबाद बैंक का नेट NPA उसकी नेटवर्थ का 104% है जबकि इंडियन बैंक के मामले में यह 36% है। सरकार इसमें सबसे कम 2,500 करोड़ रुपये का पूंजी निवेश करने जा रही है। इस मर्जर में कोई बड़ा कॉस्ट बेनेफिट भी नहीं है क्योंकि इंडियन बैंक का कारोबार दक्षिण भारत में फैला है जबकि इलाहाबाद बैंक का खासतौर पर उत्तर प्रदेश और पूर्वी भारत में दबदबा है। दोनों के कल्चर में बड़ा फर्क होना भी मर्जर में बड़ी चुनौती साबित हो सकती है।
 

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