दिल्ली महिला आयोग ने वेश्यावृति के चंगुल में फंसी नाबालिग लड़की को बचाया

नई दिल्ली

दिल्ली महिला आयोग ने होलाम्बी कलां से एक 16 वर्षीय लड़की को रेस्क्यू किया है जिसको तस्करी कर असम से लाया गया था और दिल्ली में उसे वेश्यावृत्ति के लिए मजबूर किया जा रहा था.

पीड़िता के माता पिता की पहले ही मौत हो चुकी है, वो अपनी दो बहनों के साथ असम में ही रहती थी. दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल को पीड़िता ने बताया कि, नौ महीने पहले उनकी जान पहचान वाले एक व्यक्ति ने उन्हें एक कप बनाने वाली कंपनी में अच्छी तनख्वाह की नौकरी दिलाने का वादा किया और उन्हें दिल्ली आने का लालच दिया. तीनों बहनें दिल्ली आ गईं और अपने जान पहचान वाले व्यक्ति के साथ उसके घर पर रहने लगीं.

दिल्ली आने के बाद उन्हें वेश्यावृत्ति के लिए मजबूर किया गया और विरोध करने पर उनको कई तरह की शारीरिक यातनाएं भी दी गईं. जल्द ही वहां लोगों ने आना शुरू कर दिया और उनके साथ कई बार बलात्कार किया गया.

दिल्ली महिला आयोग की टीम मामले में एफआईआर दर्ज करने के लिए नरेला इंडस्ट्रियल एरिया थाने पहुंची, मगर पुलिस ने शुरू में एफआईआर दर्ज करने से मना कर दिया.

उसके बाद महिला आयोग की सदस्यों ने पुलिस हेल्पलाइन 100 पर फोन किया और पुलिस चौकी पर मौजूद पुलिस अधिकारियों की प्राथमिकी न दर्ज करनें की शिकायत की, जिसके बाद नरेला इंडस्ट्रियल एरिया थाने की पुलिस ने आईपीसी की धारा 370 A और 344 के तहत एफआईआर दर्ज की. पीड़ित लड़की को आश्रय गृह में भेज दिया गया है और अन्य लड़कियों की तलाश जारी है.

आरोपियों की कैद से भागी पीड़िता ने बताया कि उसे और उसकी बहनों को 20 अन्य लड़कियों के साथ एक घर में बंदी बनाकर रखा गया था. अधिकतर लड़कियों की उम्र 14-15; साल है.

पीड़िता ने बताया कि उन्हें 24 घंटे में केवल एक बार भोजन दिया जाता था और उस भोजन में भी उन्हे कुछ नशीला पदार्थ मिलाकर दिया जाता था, जिससे वह सभी बेहोश हो जाते थे और जब उनको होश आता था, तब वह अपने शरीर और निजी अंगों में दर्द महसूस करती थीं. पीड़िता ने आगे बताया कि उन सभी को बंद कमरों में रखा जाता था और उन्हें एक-दूसरे से बात करने की भी अनुमति नहीं थी.

दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने कहा, "मामला बहुत दर्दनाक और चौंकाने वाला है. यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस तरह के जघन्य अपराध पुलिस की नाक के नीचे हो रहे हैं और अभी तक आरोपी पुलिस की पकड़ में नहीं आ पाए हैं. पुलिस को तत्काल मामले में अपराधियों को गिरफ्तार करना चाहिए और अन्य लड़कियों को रेस्क्यू करवाना चाहिए. लड़कियों को ढूंढने के लिए विशेष टीमें बनाई जानी चाहिए और लड़कियों के बारे में जानकारी देने वाले लोगों के लिए पुरस्कार की घोषणा की जानी चाहिए".

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