दहशतगर्दी का खेल: पटना में खूब गरजी हैं एके-47

पटना 
एके-47 से अपराधियों का पुराना नाता रहा है। बड़ी वारदातों में अचूक निशाना लगाने के लिए बदमाशों ने एके-47 को ही चुना है। पटना में भी यह खूब गरजी है। राजधानी से लेकर प्रदेश भर की कई बड़ी घटनाओं में इसकी गूंज ने सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़ा किया है, बावजूद इसके बिहार देश का इकलौता ऐसा प्रदेश है, जहां एके-47 को बदमाशों की पकड़ से दूर नहीं किया जा सका है। पटना में लोक जनशक्ति पार्टी के नेता बृजनाथी सिंह से लेकर मुजफ्फरपुर में पूर्व महापौर समीर की हत्या सहित दर्जनों हत्याकांड में एके-47 का इस्तेमाल किया गया था। कई बार बिहार इस हथियार से थर्रा चुका है। 

सेना का हथियार चोरी कर पटना पहुंचा 
पटना से लेकर प्रदेश के मुंगेर तक सेना की ऑर्डिनेंस फैक्ट्री से चुराई गई एके-47 का मामला आ चुका है। पुलिस की जांच में पाया गया है कि 2012 से लेकर 2019 तक 80 से अधिक एके-47 राजधानी से लेकर मुंगेर तक पहुंची हैं। पुलिस ने मुंगेर से हाल ही में डेढ़ दर्जन से अधिक एके-47 बरामद की है। मुंगेर पुलिस ने पटना पुलिस के एक सिपाही को भी एके-47 की तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया था।

दहशतगर्दी का खेल 
कंकड़बाग इलाके में नक्सली अरविंद सिंह उर्फ देवकुमार सिंह के बेटे प्रिंस के आवास से पुलिस ने किताबों के बीच छुपायी गयी चार एके-47 राइफल बरामद की थी, लेकिन उसके बाद एक भी एके-47 राइफल बरामद नहीं की जा सकी। पांच फरवरी 2016 को फतुहा थाने के जेठुली इलाके में लोजपा नेता बृजनाथी सिंह की हत्या की गई। इस घटना में भी दो एके-47 राइफल के इस्तेमाल होने की बात सामने आयी थी। पुलिस उन्हें भी बरामद नहीं कर पाई। बिहटा के मनोज सिंह गिरोह के पास भी एके-47 है। इसकी पुष्टि बाढ़ कोर्ट में गुड्डु सिंह मर्डर केस के आरोपित मोनू सिंह ने की थी। उसने पुलिस को बताया था कि उसकी एके-47 राइफल मनोज सिंह के पास ही है। आपसी विवाद में मोनू सिंह ने गुड्डु सिंह का मर्डर कर दिया था। इतना ही नहीं, बिहटा के रंजीत चौधरी के पास भी एके-47 राइफल होने की चर्चा थी। रंजीत चौधरी भी पकड़ा गया, लेकिन उसके पास रहे अत्याधुनिक हथियार को पुलिस बरामद नहीं कर पाई। 

कार्रवाईमें नहीं बरामद की जा सकी राइफल 
गर्दनीबाग थाने के अनिसाबाद में पूर्व डिप्टी मेयर अमरावती देवी के पति दीना गोप की हत्या में भी एके-47 के प्रयोग की बात सामने आयी थी। इस मामले में कुख्यात विकास सिंह को गिरफ्तार किया गया था। विकास सिंह ने पुलिस को जानकारी दी थी कि उसने जहानाबाद के मुखिया को एके-47 दे दी थी। जक्कनपुर पुलिस ने मुखिया को पकड़ कर जेल भी भेजा और रिमांड पर भी लिया, लेकिन एके-47 राइफल बरामद नहीं हुई। वहीं पुलिस मुठभेड़ में मारे गए नौबतपुर के कुख्यात मुचकुंद के पास भी एके-47 राइफल थी। पुलिस बरामद नहीं कर पाई। पुलिस सूत्रों की मानें तो पटना में आधा दर्जन से अधिक एके-47 की आशंका है।

बदमाशों को किराये पर मिल जाती है एके-47 
पुलिस जांच में यह बात भी सामने आ चुकी है कि बदमाशों को वारदात को अंजाम देने के लिए एके-47 किराये पर भी मिल जाती हैं। पटना में हुईं कई बड़ी घटनाओं में इसके खुलासे के बाद पुलिस की नींद उड़ गई थी। हालांकि पुलिस की सख्ती के बाद भी एके-47 पर अंकुश नहीं लग पाया है। बड़े गैंग ही नहीं, छोटे बदमाशों ने भी कई घटनाओं में एके-47 का प्रयोग किया है। एके-47 का इस्तेमाल सेना या पुलिस के जवान ही करते है, लेकिन बदमाशों तक इसका पहुंचना बड़ा सवाल है।

एके-47 से बचने की गुंजाइश ही नहीं 
बदमाश एके-47 का प्रयोग इसलिए करते हैं, क्योंकि इसके वार के बाद बचने की कोई गुंजाइश नहीं होती है। फतुहा में कच्ची दरगाह में वर्ष 2016 में हुई बृजनाथी हत्याकांड में एके-47 से 20 से अधिक लोगों को गोली मारी गई थी। मुजफ्फपुर के पूर्व मेयर समीर सिंह और उनके ड्राइवर को भी अपराधियों ने एके-47 से 16 गोलियां मारी थीं। पुलिस के आंकड़ों की बात करें तो पांच साल में उत्तर बिहार में एके- 47 से डेढ़ दर्जन से अधिक लोगों की हत्या की गई है। 

मुंगेर से जुड़ा है एके-47 का तार 
मुंगेर एक समय अवैध हथियारों की काली मंडी के रूप में देशभर में विख्यात रहा। यहां देसी कट्टे से शुरू हुआ अवैध हथियारों का कारोबार अब दुनिया के सबसे खतरनाक माने जाने वाले एके-47 जैसे आधुनिक हथियार तक पहुंच गया है। मध्य प्रदेश, जबलपुर से वर्ष 2012 से अबतक तस्करी कर 80 से अधिक एके-47 मुंगेर पहुंचाई गई हैं। पुलिस ने 20 से अधिक एके-47 बरामद की है। इसमें पुलिस ने कई लोगों को गिरफ्तार भी किया है। पुलिस सूत्रों का कहना है कि एके-47 हथियार तस्करों ने अपराधियों के अलावा नक्सली संगठन को भी बेची है। पुलिस को अब तक की छापेमारी में जो भी एके-47 बरामद हुई, वे अधिकतर एंड्र्यू क्लाश्निकोव सीरीज की हैं। जांच में यह बात भी आई की एके-47 की कीमत कम से कम पांच लाख रुपए हैं। कभी-कभी कीमत सात से आठ लाख भी लग जाती है। यह खरीदारों पर निर्भर करता है। कहा जाता है कि एके-47 को चलाना बेहद आसान है और इसके लिए किसी ट्रेनिंग की जरूरत नहीं होती। कट्टा और बंदूक चलाने के लिए जहां प्रशिक्षण की जरूरत होती है, वहीं, एके-47 को हर वह शख्स चला सकता है, जो इसे उठा सकता है।

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