खूनी हाथ अब उगा रहे खुशहाली की फसल, कैदी बन रहे हैं ‘हाईटेक किसान’

भोपाल 
खून से सने हाथ अब खुशहाली की फसल उगा रहे हैं. जेल से मिले आधुनिक खेती के हुनर इन्हें फिर से जीने की नई राह दिखा रहा है. हथियारों को छोड़ अब ये कैदी हाईटेक किसान बन गए हैं. जेल से बाहर निकलने के बाद आधुनिक खेती और सरकारी योजना के सहारे इन किसानों को लाभान्वित करने की योजना बनाई जा रही है. मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में पहली बार इस प्रकार का प्रयोग किया जा रहा है कि जेल में बंद कैदियों को खेती-किसानी का हुनर सिखाया जा रहा है. इसकी शुरूआत भोपाल के सेंट्रल जेल से की गई है. पहले चरण में उन 300 कैदियों को आधुनिक खेती के लिए चुना गया है, जिनका ग्रामीण परिवेश है और जो खेती करना जानते हैं. इन कैदियों को तीन माह की ट्रेनिंग दी जा रही है. ट्रेनिंग पूरी होने के बाद इन कैदियों को इसका डिप्लोमा भी दिया जाएगा.

भोपाल सेंट्रल जेल अधीक्षक दिनेश नरगावे ने बताया कि जेल प्रशासन ने कैदियों के लिए इग्नू की सहायता से आधुनिक खेती के डिप्लोमा कोर्स शुरू किए हैं. तीन माह के इस कोर्स में ट्रेनिंग से लेकर सरकार की उन तमाम योजनाओं के बारे में भी बताया जा रहा है, जो कृषि क्षेत्र से जुड़ी हुई है. ये डिप्लोमा कोर्स जैविक खेती, जल संचयन एवं प्रबंधन, ऑफ सीजन में फल-सब्जियों का प्रबंधन, कुक्कुट पालन, मधुमक्खी पालन, मछली पालन, पॉली हाउस, डेयरी और ड्रिप व फव्वारा सिंचाई से संबंधित है.

जेल में खेती का काम करने वाले ये कैदी हत्या के मामलों में सजा काट रहे हैं. इनकी सजा तीन माह में पूरी होने वाली है. इन्हीं कैदियों को डिप्लोमा कोर्स के लिए चुना गया है, ताकि ये बाहर जाने के बाद आधुनिक खेती के जरिए कम लागत में ज्यादा उत्पादन कर सके और लाभान्वित हो सके. प्रदेश के तमाम जिलों से केंद्रीय जेलों में सजा काट रहे कैदियों के लिए ये पहली बार है जब कृषि क्षेत्र में इस तरह का डिप्लोमा कोर्स चलाया गया है.

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