कमलनाथ सरकार को बड़ा झटका, विधायक नारायण त्रिपाठी ने छोड़ी कांग्रेस

भोपाल
निकाय और झाबुआ उपचुनाव से पहले प्रदेश की कमलनाथ सरकार को बड़ा झटका लगा है।भाजपा छोङ कान्ग्रेस मे गये विधायक शरद कोल फिर भाजपा में शामिल हो गए है। उन्होंने खुद इस बात के संकेत देते हुए कहा है, कि वे भाजपा के ही है और हमेशा रहेंगें। ऐसे में कांग्रेस का एक विधायक फिर कम हो गया, हालांकि भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी अभी भी कमलनाथ के साथ नजर आ रहे हैं। गौर करने वाली बात ये है कि विधानसभा में विधेयक पर हुई वोटिंग के बाद भाजपा विधायक शरद कोल ने कमलनाथ को अपना आइकन बता दिया था, जिससे यह साफ होने लगा था कि शरद कोल ज्यादा एक दिन तक भाजपा का साथ नहीं दे पाएंगे, लेकिन अब समीकरण पूरी तरह से बदलते हुए नजर आ रहे है।

दरअसल, जुलाई में मध्यप्रदेश विधानसभा के बजट सत्र के दौरान एक विधेयक पर मत विभाजन के दौरान बीजेपी के दो विधायकों ने नारायण त्रिपाठी और शरद कोल ने बागी होकर अपना समर्थन कमलनाथ सरकार को  दिया था। जिसके बाद बीजेपी में हड़कंप मच गया था और कांग्रेस गदगद हो चली थी। कयास लगाए जा रहे थे कि दोनों विधायक कभी भी कांग्रेस में शामिल हो सकते है और अल्पतमत की जगह सरकार पूर्ण बहुमत में आ जाएगी। लेकिन बीते दो महिनों में घटनाक्रम इतनी तेजी से बदले की कोल ने भाजपा में ही रहने का फैसला किया है।

मीडिया से चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि मॉब लिंचिंग प्रस्ताव के समर्थन में उन्होंने सरकार के पक्ष में वोट किया था जिसका समर्थन उनकी पार्टी भी कर रही थी। शरद कोल ने साफ कहा कि वे बीजेपी के विधायक हैं और रहेंगे।क्षेत्र का विकास करना प्रमुख उद्देश्य है, हमारे समर्थन को गलत तरीके से लिया गया है । दल बदलने का तो सवाल ही नही उठता।कोल के बयान के बाद कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है।हालांकि अभी तक किसी भी बडे नेता की प्रतिक्रिया सामने नही आई है।वही बीजेपी एक बार फिर मजबूत नजर आ रही है।ऐसे में त्रिपाठी के भी बीजेपी में शामिल होने की संभावना बढ़ गई है।

बीजेपी ज्वाइन करने से पहले शरद बोल कांग्रेस और उसके पहले बीएसपी के साथ रह चुके हैं । कोल समाज के कद्दावर नेता और पिता जुगलाल लगातार इस बात का प्रयास करते रहे हैं कि बेटे की घर वापसी हो जाए। 28 साल के विधायक शरद कोल शहडोल से जिला पंचायत सदस्य व कांग्रेस पार्टी के जिला उपाध्यक्ष की भूमिका निभा चुके हैं।

पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव के दौरान ब्यौहारी सीट से कांग्रेस की टिकट मांगी थी, लेकिन उन्हें कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया। इसलिए विधानसभा चुनाव से ठीक 10 दिन पहले वह कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गये और ब्यौहारी सीट से बीजेपी ने उन्हें अपना प्रत्याशी बना दिया। वह चुनाव जीत कर विधायक बन गये। ब्यौहारी आदिवासी बहुत इलाका है,.परिसीमन के बाद ये सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है।शरद कोल ने 28 अक्टूबर, 2018 को कांग्रेस छोड़कर भाजपा की सदस्यता ली थी। शरद ने तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान , प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह और भाजपा के वरिष्ठ नेता विनय सहस्त्रबुद्धे की मौजूदगी में भाजपा ज्वाइन की थी। वहीं, विधानसभा चुनाव में शिवराज सिंह चौहान ने शरद कोल के लिए रैली भी की थी।

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