कंट्रोल रूम बैठक: में सर! जेबकतराें से परेशान हैं, पकड़कर पुलिस काे दाे ताे अगले दिन छूट जाते हैं

भोपाल
शहर के यातायात को ठीक करने के लिए शनिवार काे कंट्रोल रूम में हुई बैठक में यात्री वाहन चलाने वाले ड्राइवरों, कंडक्टरों और संचालकों ने एक सुर में जेबकतरों का मुद्दा उठाया। बैठक के दौरान ड्राइवरों ने कहा कि सर जेबकतरों से परेशान हो चुके हैं। आज उन्हें पकड़कर पुलिस के हवाले करो, तो कल छूट जाते हैं। उसके बाद वे हमें ही परेशान करने लगते हैं। इनका कुछ करो। इस पर डीआईजी ने कहा कि आज का दिन इस मुद्दे के लिए नहीं है, लेकिन फिर भी इसके लिए एएसपी ट्रैफिक प्रदीप सिंह चौहान को नोडल अधिकारी बना दिया है।

अगर कोई भी परेशानी हो तो अब सीधे एएसपी को फोन करें। बस संचालकों ने कहा कि सर 15 अगस्त तक कार्रवाई नहीं करें और सुधरने का मौका दें। इस पर डीआईजी ने कहा कि हम चालान बनाने के लिए नहीं हैं, लेकिन अगर कोई भी ट्रैफिक नियमों का पालन नहीं करता है, तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। बैठक में शामिल करीब 100 ड्राइवरों, कंडक्टरों और संचालकों को पुलिस ने एक दिनी ट्रेनिंग कार्ड भी दिया। एक दिन में उन्हें यह बताया कि वाहन में कौन-कौन से कागज रखना अनिवार्य है। ट्रैफिक नियमों का पालन किस तरह करना है और कोई भी वाहन आरटीओ से पास होने के बाद उसमें किसी भी तरह का मोडीफिकेशन नहीं किया जा सकता है।

डीआईजी ने बताया कि शहर भर में घरों के बाहर सालों से खड़े ऐसे 300 वाहनों को चिह्नित किया गया है। यह 5 साल या उससे अधिक समय से एक ही जगह खड़े हुए हैं। उनके खिलाफ कार्रवाई कर उन्हें वहां से हटाया जाएगा। यह सभी वाहन मुख्य सड़कों के किनारे बने घरों वाले हैं। जिनके कारण ट्रैफिक जाम की समस्या होती है।

ट्रेनिंग के दौरान सभी को एक्सीडेंट के बाद घायल के लिए पहले एक घंटे की कीमत के बारे में बताया। इस द गोल्डन आॅवर कहा जाता है। ड्राइवरों को बताया कि घायल को खुले में रखें, ताकि उसे ऑक्सीजन पर्याप्त मात्रा में मिले। तत्काल एंबुलेंस-108 और डायल-100 को कॉल करें। मदद आने के पहले घायल के शरीर से निकलने वाले खून को रोकने का प्रयास करें। अगर घायल उठ पाने की स्थिति में नहीं है और सिर और गर्दन पर चोट है, तो यहां-वहां उठाकर रखने का प्रयास न करें। इससे उसकी चोट और गंभीर हो सकती है। घायल के चाराें तरफ भीड़ लगाकर न खड़े हों।

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