आबकारी मंत्री बने तो कवासी लखमा ने छोड़ी शराब

रायपुर
आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने मंत्री बनने के बाद शराब से तौबा कर ली है। मंत्री को अब उतना वक्त ही नहीं मिल पा रहा है कि वे शराब पी सकें। लखमा सुकमा जिले के एक ऐसे अंदरूनी गांव से आते हैं जहां दिन ढलते ही रात हो जाती है। आदिवासी संस्कृति के मुताबिक जंगल में नाच गान और मदिरापान का पूरा मजा लखमा लेते रहे हैं।

देसी महुआ शराब ही नहीं अंग्रेजी शराब पीते हुए भी उनकी फोटो कई बार वायरल हो चुकी है। अब जबकि वे आबकारी मंत्री बन गए हैं तो सोशल मीडिया पर यह भी चला कि लखमा को इसलिए आबकारी विभाग दिया गया क्योंकि वे शराब को बेहतर जानते हैं। लखमा ठेठ देशी अंदाज के नेता है।

अब वह मंत्री है लेकिन जब विपक्ष में थे तब भी चर्चा में रहते रहे। धोती कुर्ता के साथ जूते पहने वे जमीन पर बैठकर चिपटी (पत्ते को मोड़कर बनाई गई छोटी दोनी) में देसी महुआ शराब पीते भी देखे गए हैं।

कुछ दिन पहले उनकी एक और तस्वीर वायरल हुई थी, जिसमें वे जमीन पर पत्तल में खाना खाते दिख रहे हैं। साथ में अंग्रेजी शराब की बोतल भी रखी हुई है। कुछ दिन पहले अपने कार्यकर्ताओं से उन्होंने मजाक में कहा-पहले ही ठीक था। अब मंत्री हो गया तो जिम्मेदारी आ गई है।

पिछले दिनों मीडिया ने उनसे प्रदेश में बिक रही शराब की क्वालिटी के बारे में पूछा तो लखमा बोले-मैं क्वालिटी कैसे बता सकता हूं। मैंने तो शराब पीना ही छोड़ दिया है। उनके समर्थक बताते हैं कि मंत्री बनने के बाद सिर्फ एक बार उन्होंने शराब पी। उनका शेड्यूल ऐसे बदला कि शराब पीने का वक्त ही वे नहीं निकाल पाए।

लखमा गांव की आदत के मुताबिक यहां भी रात दस बजे सो जाया करते थे। अब देर रात तक बैठकों का दौर चल रहा है। घर लौटते हैं तो भी समर्थक घेरे रहते हैं। ऐसे में वे शराब पीने का वक्त ही नहीं निकाल पा रहे हैं। सो उन्होंने शराब से ही तौबा कर ली।

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