अगर पड़ोसी के तेज गाना बजाने से हैं परेशान, तो ऐसे सिखाएं सबक

नई दिल्ली        
अगर आपकी अपने पड़ोसी से नहीं बनती है और वह आपको परेशान करने के लिए तेज-तेज गाना बजाता है तो आप परेशान मत होइए. आप कानून का सहारा लेकर अपने पड़ोसी को सबक सिखा सकते हैं और उसे तेज गाना बजाने से रोक सकते हैं. भारतीय कानून में तेज गाना बजाना जुर्म की श्रेणी में आता है. ऐसा करने वाले को जुर्माना देना पड़ सकता है और जेल जाना पड़ सकता है.

भारतीय दंड संहिता यानी आईपीसी की धारा 268 में ऐसा करने को पब्लिक न्यूसेंस माना जाता है, जो अपराध है. इस क्राइम के लिए आईपीसी की धारा 290 में जुर्माना का प्रावधान किया गया है. इतना ही नहीं, अगर आपका पड़ोसी एक बार कार्रवाई करने के बाद भी नहीं मानता है और दोबारा फिर से आपको परेशान करने या डिस्टर्ब करने के लिए तेज गाना या लाउडस्पीकर बजाता है, तो आप फिर से कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं.
दूसरी बार ऐसा करने पर आरोपी को जुर्माना देने के साथ ही जेल भी जाना पड़ सकता है. ऐसे अपराध को दोहराने पर आईपीसी की धारा 291 में जुर्माने के साथ 6 महीने की जेल की सजा का प्रावधान किया गया है.

इसके अलावा मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारा समेत अन्य सार्वजनिक स्थान पर तेज लाउडस्पीकर बजाना भी पब्लिक न्यूसेंस के तहत आता है. अगर आम लोगों को इन लाउडस्पीकर से परेशानी होती है, तो वो कानून के तहत कार्रवाई कर सकते हैं. दिवाली में पटाखों की आवाज, शादी या अन्य समारोह में बजने वाले लाउडस्पीकर की आवाज भी पब्लिक न्यूसेंस की श्रेणी में आते हैं.

क्या है कानून विशेषज्ञ की राय

एडवोकेट मार्कण्डेय पंत का कहना है कि अगर कोई व्यक्ति सार्वजनिक स्थान पर तेज लाउडस्पीकर बजाकर पब्लिक न्यूसेंस पैदा करता है, तो इसकी शिकायत की जा सकती है. इसके बाद मजिस्ट्रेट स्तर का अधिकारी मामले की जांच करता है और अगर उसे लगता है कि किसी के लाउडस्पीकर बजाने से पब्लिक न्यूसेंस पैदा होता है, तो वो उसे हटाने का आदेश दे सकता है. दण्ड प्रक्रिया संहिता यानी सीआरपीसी की धारा 133 मजिस्ट्रेट को ऐसा आदेश देने का शक्ति देती है. अगर कोई व्यक्ति मजिस्ट्रेट के आदेश को नहीं मानता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है.

लाउडस्पीकर से मौलिक अधिकारों का भी होता है हनन

सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 में जीवन जीने के अधिकार के तहत ध्वनि प्रदूषण मुक्त वातावरण में रहने के अधिकार को भी शामिल किया गया है. अगर किसी की वजह से आपके आसपास ध्वनि प्रदूषण होता है और आपको इससे परेशानी होती है या आपकी शांति भंग होती है या आप लाउडस्पीकर की आवाज की वजह से सो नहीं पाते हैं, तो ये आपके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन माना जाएगा. इसके तहत आप कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं. मौलिक अधिकार के हनन के आधार पर आप भारतीय संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत सीधे सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं.

ये भी है कानून

इसके अलावा पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम-1986 और ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) अधिनियम-2000 के तहत भी तेज स्पीकर बजाना गैर कानूनी और दंडनीय है. ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) अधिनियम के मुताबिक रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक लाउडस्पीकर बजाने की इजाजत नहीं है. हालांकि ऑडिटोरियम, कांफ्रेंस रूम, कम्युनिटी और बैंकेट हॉल जैसे बंद कमरों या हॉल में इसे बजाया जा सकता है. अगर कोई रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक लाउडस्पीकर बजाता है, तो उसको प्रशासन से इजाजत लेनी होती है.

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