22 विधानसभा सीटों पर भाजपा के सामने दोहरी चुनौती, प्रमोटी अफसरों को इन जिलो की जिम्मेदारी
भोपाल
प्रदेश में दो स्थानों पर पूर्व विधायकों के निधन और 22 स्थानों पर सिंधिया समर्थक पूर्व मंत्री और विधायकों के इस्तीफे के बाद रिक्त पदों पर यह चुनाव हो रहे है। पंद्रह जिलों के 24 विधानसभा क्षेत्रों में ये उपचुनाव होने है। इसमें से 22 विधानसभा सीटे सिंधिया समर्थकों के क्षेत्र की है। भाजपा इनमें से अधिक से अधिक सीटों पर चुनाव जीतना चाहती है। इसलिए वह किसी तरह का रिस्क नहीं उठाना चाहती है। इन 22 विधानसभा सीटों पर भाजपा के सामने दोहरी चुनौती है। एक तो कांग्रेस यहां पूरी कोशिश करेगी कि ये सीटे भाजपा की झोली में नहीं जा पाए वहीं भाजपा के स्थानीय कार्यकर्ताओं से भी सेबोटेज की संभावना है। ऐसे में अब यहां चुनाव ठीक से हो जाए और भाजपा समर्थित उम्मीदवारों को किसी तरह की दिक्कत का सामना नहीं करना पड़े इसके लिए अब प्रमोटी अफसरों को इन जिलो की जिम्मेदारी दी गई है।
प्रदेश के जिन 15 जिलों में चुनाव हो रहे हैं। उनमें सरकार ने सबसे पहले इंदौर कलेक्टर लोकेश जाटव को हटाकर उनके स्थान पर प्रमोटी आईएएस मनीष सिंह को जिम्मेदारी सांैपी थी। इंदौर के सांवेर में उपचुनाव होना है। सागर कलेक्टर को बदलकर वहां प्रमोटी आईएएस दीपक सिंह को कलेक्टर बनाया है। सागर जिले के सुरखी में उपचुनाव होना है। इसके बाद रविवार को जिन सात जिलों के कलेक्टर बदले गए है। इनमें उपचुनाव वाले तीन स्थानों पर प्रमोटी अफसरों को जिले की जिम्मेदारी सौंपी है। देवास के हाट पिपल्या में चुनाव होना है यहां चंद्रमौली शुक्ला को कलेक्टर बनाया गया है। धार के बदनावर में चुनाव होना है यहां आलोक सिंह को जिम्मेदारी सौपी गई है। आगर मालवा में अवधेश शर्मा को जिले की जिम्मेदारी दी गई है। भिंड में वीरेंद्र सिंह रावत प्रमोटी आईएएस को मौका दिया है।
इंदौर में पिछले दो साल में तीन कमिश्नर बदले गए है। सबसे पहले यहां राघवेन्द्र सिंह को जिम्मेदारी सौपी गई थी वे यहां 8 से 10 माह ही रहे। इसके बार पूर्व कांगे्रस सरकार ने यहां आकाश त्रिपाठी को कमिश्नर बनाया था। अब भाजपा सरकार ने चुनाव और कोरोना को देखते हुए यहां कमिश्नर को बदलकर पवन शर्मा को यह जिम्मेदारी दी है। आकाश त्रिपाठी एक साल ही यहां कमिश्नर रह पाए। आकाश त्रिपाठी ने इंदौर संभाग के कोरोना प्रभावित क्षेत्रों में संक्रमितों पर नियंत्रण करने में सबसे बेहतर काम किया था। वे खुद कोरोना प्रभावित क्षेत्रों में घूम-घूम कर व्यवस्थाएं देख रहे थे। निजी अस्पतालों से समन्वय बनाकर वहां भी उन्होंने बेहतर व्यवस्थाएं की। इसके अलावा मेडिकल कॉलेज में अलग से कोरोना मरीजों के लिए बिस्तर और वार्डों का प्रबंध, पीपीई किट और कोरोना टेस्ट कराने, मरीजों के इलाज के लिए जिले के कलेक्टरों के साथ घूम-घूमकर बेहतर काम किया है। उन्हें यहां से हटाकर मध्यप्रदेश पावर मैनेजमेंट कंपनी के प्रबंध संचालक की जिम्मेदारी सौंपी गई है।