18 दिन के भीतर दिल्लीवालों ने खो दिए अपने दो पूर्व महिला मुख्यमंत्री

 
नई दिल्ली   
     
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) दिग्गज नेता और पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का हार्ट अटैक के बाद मंगलवार 6 अगस्त 2019 को निधन हो गया. सुषमा स्वराज दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री भी रहीं. सुषमा स्वराज के बाद कांग्रेस की शीला दीक्षित दिल्ली की मुख्यमंत्री बनीं जिन्होंने 15 वर्षों तक लगातार दिल्ली पर शासन किया. इस लिहाज से देखें तो शीला दीक्षित दिल्ली की दूसरी मुख्यमंत्री थीं.

यह भी अजीब संयोग है कि दिल्ली की दोनों पूर्व महिला मुख्यमंत्रियों का 18 दिनों के भीतर निधन हो गया. दिल्लीवालों ने इतने कम अंतराल में अपने जमाने में प्रसिद्ध रहीं दो पूर्व मुख्यमंत्रियों को खो दिया. शीला दीक्षित के निधन के बाद सुषमा स्वराज ने ट्वीट कर शोक जताया था. सुषमा ने लिखा था, 'शीला दीक्षित के अचानक निधन के बारे में जानकर दुखी हूं. हम राजनीति में विरोधी थे, लेकिन निजी जीवन में दोस्त थे. वह एक बेहतरीन इंसान थीं.'

बहरहाल, शीला दीक्षित की श्रद्धांजलि सभा 10 अगस्त को दिल्ली में आयोजित की जा रही है, और यह निश्चित माना जा रहा था कि यदि सुषमा स्वराज जीवित होंती तो वह जरूर उस श्रद्धांजलि सभा में शामिल शरीक होतीं.

संयोग का रिश्ता

20 जुलाई 2019 को शीला दीक्षित के निधन की खबर भी अचानक मिली थी जैसे मंगलवार को सुषमा स्वराज के निधन की खबर मिली. सुषमा स्वराज और शीला दीक्षित के साथ यह भी संयोग रहा कि अपनी मृत्यु से कुछ समय पहले तक दोनों नेता सक्रिय रहीं. सुषमा स्वराज ने हार्ट अटैक से पहले अनुच्छेद 370 को लेकर ट्वीट किया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह को बधाई दी थी.

शीला दीक्षित का निधन उस समय हुआ जब उत्तर प्रदेश के सोनभद्र में आदिवासियों के नरसंहार पर प्रियंका गांधी पीड़ित परिजनों से मिलने के लिए पहुंची थीं, लेकिन उन्हें रास्ते में ही गिरफ्तार कर लिया गया. शीला दीक्षित के हवाले से बताया गया कि वह प्रियंका गांधी की गिरफ्तारी के विरोध में दिल्ली में प्रदर्शन करेंगी. लेकिन उसी दिन शीला दीक्षित का निधन हो गया. वहीं सुषमा ने कहा हरीश साल्वे को घर बुलाया था क्योंकि वह कुलभूषण मामले में उन्हें 1 रुपये की फीस अदा करना चाहती थीं. साल्वे ने 1 रुपये की फीस पर अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में कुलभूषण का केस लड़ा था.  यानी दिल्ली की दोनों पूर्व मुख्यमंत्री निधन से कुछ समय पहले तक सक्रिय रहीं. सुषमा स्वराज ने शीला दीक्षित के बारे में सही ही लिखा कि हम राजनीति में एक-दूसके विरोधी थे, लेकिन व्यक्तिगत जीवन में दोस्त थे.  

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