120 करोड़ का फर्जी ऋण वितरण, किसानों ने कहा- कर्ज लिया ही नहीं तो ‘माफी’ कैसी

ग्वालियर
कांग्रेस सरकार की जय किसान ऋण मुक्ति योजना की आड़ में फर्ज़ी किसान और घोटालेबाज़ बैंक अधिकारियों को भी क्लीन चिट मिल सकती है.  ऐसा इसलिए क्योंकि ग्वालियर चंबल में सैकड़ों किसान कह रहे हैं कि उनके नाम पर फर्ज़ी तरीके से लोन लिए गए हैं. अकेले ग्वालियर ज़िले में 2000 से ज्यादा किसान ऐसे हैं जिनके नाम पर 175 करोड़ से ज़्यादा का लोन निकाला गया.

ऐसे मामलों की जांच तो चल रही है, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई. इस बीच कर्ज़ माफी योजना शुरू हो गयी. इसकी आड़ में इन फर्ज़ी किसानों का कर्ज़ भी माफ हो जाएगा और घोटाले बाज़ों के गुनाह भी धुल जाएंगे. हालांकि घोटाले के खिलाफ आंदोलन चला रहे किसान नेताओं का कहना है वो घोटाले बाजों को जेल तक पहुंचाएंगे.वहीं कांग्रेस नेताओं का कहना है वो पार्टी स्तर पर सर्वे करेंगे और सीएम को रिपोर्ट देंगे.

ऐसे कई किसान हैं जो पिछले 5 साल से अपने साथ हुए फर्ज़ी वाड़े की लड़ाई लड़ रहे हैं. चीनौर के किसान रायसिंह उन्हीं में से एक हैं. रायसिंह को पता ही नहीं था कि वो बैंक का कर्ज़दार है. उसके नाम पर किसी ने डेढ़ लाख रुपए का कर्ज़ ले रखा है. बैंक से रिकवरी नोटिस पहुंचने पर उसे इस फर्ज़ीवाड़े का पता चला.

पूरे ग्वालियर ज़िले में 2000 से ज्यादा किसान रायसिंह की तरह जालसाजों का शिकार हुए हैं. उन सबके घर लगातार रिकवरी नोटिस पहुंचे. चीनौर और भितरवार इलाके में सबसे ज़्यादा धोख़ाधड़ी की गयी. घोटालों के खिलाफ किसान नेता बृजेंद्र तिवारी लंबे समय़ से आंदोलन कर रहे हैं. उनका कहना है ग्वालियर ज़िले में 2006 से 2016 के बीच घोटाले बाजों ने किसानों के नाम पर 200 करोड़ रुपए का लोन डकार लिया है. तिवारी का कहना है नई सरकार किसानों का कर्ज़ माफ़ कर रही है, लेकिन ग्वालियर जिले की सोसाय़टी के पास किसानों का डाटा तक नहीं है. सहकारिता विभाग के पास कर्ज़दार किसानों की ना तो सूची पहुंची है और ना ही सोसाय़टी का ऑडिट किया गया. अगर ऐसा होता तो घोटालेबाज़ बेनकाब हो जाते. किसान नेता का कहना है वो घोटालेबाजों का कर्ज माफ नही होने देंगे.

ग्वालियर के कांग्रेस नेताओं का कहना है बीजेपी सरकार के दौरान किसानों के नाम पर घोटाले हुए हैं. लेकिन कर्ज माफी के लिए कांग्रेस भी अपने स्तर पर किसानों का सर्वे करेगी ताकि घोटाले बाजो़ का कर्ज़ माफ़ ना हो पाए.

ग्वालियर संभाग में सहकारिता विभाग के समाने दिक्कत आ रही है. उसकी कई बैंकों में लोन घोटाले के  केस हैं. कई घोटालों में सीधे तौर पर बैंक के कर्मचारी और आधिकारियों के साथ किसानों की भूमिका भी संदिग्ध है. इसलिए यहां किसानों को कर्ज माफी के लिए इंतजार करना पड़ेगा.

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