1 चिंगारी से भड़की आग ने खत्म कीं 17 जिंदगियां!

 
नई दिल्ली

17 लोगों की जिंदगियां निगल लेने वाली आग होटल अर्पित पैलेस की पहली मंजिल के रूम नंबर-109 से शुरू हुई। यहां ठंड से बचने के लिए ब्लोअर चलाने के लिए जैसे ही स्विच ऑन किया गया, वैसे ही चिंगारी निकली और होटल की बत्ती गुल हो गई। इसी एक चिंगारी से पर्दों ने आग पकड़ी और ये आग भड़कती हुई 17 जिंदगियों पर भारी पड़ी। फायर विभाग की प्राथमिक जांच में ये बातें सामने आई हैं। 
 
चीफ फायर ऑफिसर अतुल गर्ग का कहना है कि अभी कई स्तर पर जांच की जा रही है। इसलिए पक्के तौर पर फिलहाल कुछ नहीं कहा जा सकता। उन्होंने बताया कि यह होटल हमारे रेकॉर्ड में गेस्ट हाउस है। अब इसे होटल के रूप में क्यों चलाया जा रहा था, इसकी जांच होगी। वैसे इस होटल की 18 दिसंबर 2017 को फायर से एनओसी तीन साल के लिए रिन्यू की गई थी। 

लकड़ी-फाइबर से भड़की आग
फायर सूत्रों का कहना है कि होटल में प्राथमिक जांच के दौरान कई तरह की कमियां मिलीं हैं। जिन्होंने आग को भड़काने में अहम रोल अदा किया। रूम नंबर-109 में लगी आग बुझाने की कोशिश की गई लेकिन आग बढ़ती गई। लकड़ी और फाइबर का इंटीरियर होने के चलते आग होटल की सीढ़ियों से होते हुए छत तक जा पहुंची। 

नहीं खुले एग्जिट गेट 
एग्जिट गेट और स्लाइडर विंडो के खुलने में भी समस्या आई। इससे होटल के अंदर फैला धुआं बाहर नहीं निकल सका और लोगों का दम घुटता गया। फायर डिपार्टमेंट का कहना है कि अधिकतर शव होटल की तीसरी और चौथी मंजिलों पर ही मिले हैं। इनमें कुछ कमरों में, कुछ सीढ़ियों पर और कुछ कॉरिडोर में मिले। यह भी पता लगा है कि रूम के दरवाजों पर लगे बटनदार लॉक को लोग खोल नहीं पाए। जिन लोगों ने लॉक खोले भी वे भी जब बाहर निकलने लगे तो कॉरिडोर में आग देखकर फिर रूम में ही घुस गए। 

क्यों नहीं बुझा सके शुरुआती आग
प्राथमिक जांच में पता लग रहा है कि होटल के अंदर आग बुझाने के जो सिलिंडर और अन्य साधन थे वह मौके पर नहीं चले। होटल में छह गार्ड थे। शायद इन्हें फायर सेफ्टी की कोई ट्रेनिंग नहीं दी गई थी। जब फायर कर्मचारी मौके पर पहुंचे तो यहां से सब भाग चुके थे। रिसेप्शन पर भी कोई नहीं था। होटल के अधिकतर स्विच ढीले थे। जिन्हें ऑन-ऑफ करने पर अक्सर चिंगारियां निकलती थीं। 

रोड बंद होने से आई दिक्कत
यह भी पता लगा कि शुरुआत में फायर ब्रिगेड की जो गाड़ियां मौके पर पहुंचीं उनमें केवल दो मंजिलों तक पहुंचने के लिए ही सीढ़ियां थीं। बाद में दो हाइड्रॉलिक प्लैटफॉर्म मंगाए गए। जिससे काफी लोगों की जिंदगियां बचाई जा सकीं। यह भी बताया जाता है कि फायर ब्रिगेड की गाड़ियों को मौके तक पहुंचने में भी एक-दो जगह रोड बंद होने से दिक्कत आई। 

नहीं थी कोई खुली शॉफ्ट या खिड़की
होटल में एक और बड़ी समस्या यह भी पता लगी कि इसमें कहीं भी खिड़की या शॉफ्ट खुली हुई नहीं छोड़ी गई थी। अगर कहीं वेंटिलेशन का इंतजाम होता तो होटल के अंदर इतना भयानक धुआं नहीं फैलता और कुछ लोगों की जिंदगियां बचाई जा सकती थीं। 
 

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