तो इसलिए 15 दिन पहले शुरू हो रही हैं सीबीएसई की बोर्ड परीक्षाएं

 
सीबीएसई की दसवीं और बारहवीं की परीक्षाएं जल्द शुरू होने जा रही हैं। इस बार परीक्षा लगभग दो हफ्ते पहले शुरू हो रही है जिसके कारण छात्रों और पैरंट्स में खासा खलबली है। पिछले साल हुए प्रश्नपत्र लीक मामले के कारण इस बार भी छात्रों में संदेह है। इन सबके बारे में हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के संवाददाता मानस गोहेन ने सीबीएसई के सचिव अनुराग त्रिपाठी से बात की। पेश है बातचीत के कुछ अंश: 
 
2018 में बोर्ड परीक्षा के पेपर लीक होने से प्रश्नपत्र की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े हो गए थे। इसके बावजूद सीबीएसई ने इस बार इनक्रिप्टेड पेपर का इस्तेमाल क्यों नहीं किया? 

प्रश्नपत्र के लीक होने से सवाल खड़े हुए थे लेकिन आरोपियों को पकड़ा जा चुका है और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई चल रही है। सुरक्षा के लिए हमने पिछले साल कुछ विषयों में इनक्रिप्टेड पेपर का इस्तेमाल किया था। इस साल भी कुछ विषयों में ऐसा किया जाएगा जिनमें परीक्षार्थियों की संख्या कम है। भविष्य में प्रश्नपत्र ऑनलाइन भेजे जा सकें, इसके लिए हम पूरी कोशिश कर रहे हैं। 
 
सीबीएसई री-इवैलुएशन का विकल्प देती है। 2018 में दसवीं और बारहवीं के करीब 30 लाख छात्रों में से करीब एक लाख छात्रों ने पहले चरण के लिए अप्लाई किया था। इनमें से करीब 35 हजार छात्रों ने रीटोटलिंग के लिए अप्लाई किया था। अंत में करीब 18 हजार बच्चों ने री-इवैलुएशन की मांग की। इससे साफ है कि करीब 99.5 फीसदी बच्चों को इवैलुशन सिस्टम पर भरोसा है। 30 लाख बच्चों को आन्सरशीट की स्कैन्ड कॉपी देने से हड़बड़ाहट पैदा होगी। अगर सभी को आन्सरशीट मिल गए तो हर पैरंट चाहेगा कि उसके बच्चे के मार्क्स बढ़ जाएं। इस पूरी प्रक्रिया में करीब दो महीने लग जाएंगे। 
 
इस बार बोर्ड परीक्षा को 15 दिन पहले क्यों कराया जा रहा है? 
बोर्ड पर हमेशा 45 दिनों में बारहवीं के लगभग 200 विषयों की परीक्षा संपन्न कराने का दबाव रहता है। इसके बाद मूल्यांकन के बाद रिजल्ट भी समय से घोषित करना होता है। इसका सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि हम समय से मूल्यांकन खत्म करके रिजल्ट पहले ही घोषित कर देंगे। इससे दिल्ली यूनिवर्सिटी के ऐडमिशन शुरू होने तक री-इवैलुएशन की प्रक्रिया भी पूरी हो जाएगी, जैसा कि दिल्ली हाई कोर्ट का आदेश है। 
 
हमारे प्रश्नपत्रों में कठिन लेवल के प्रश्नों की अनिश्चितता होती है। पेपर का डिफिकल्टी लेवल भी निर्धारित नहीं रहता है। ऐसे में मॉडरेशन जरूरी है। हालांकि, सीबीएसई अंकों को बढ़ाने में विश्वास नहीं रखता है। हमारी राज्यों के बोर्ड से कोई होड़ नहीं है। हमारा कॉम्पटिशन अपने ही सेट किए हुए बेंचमार्क से है। 
 

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