​आयुर्वेद में भी पपीते के पत्तों के फायदों का जिक्र

जब बात नैचरल और आयुर्वेदिक तरीके से बीमारियों से बचने और खुद को हेल्दी रखने की आती है तो उसमें नीम, तुलसी, ऐलोवेरा और पुदीने की पत्तियों का जिक्र सबसे पहले किया जाता है। लेकिन अब इस लिस्ट में एक और पत्तियां जुड़ गई हैं जो अपने औषधीय गुणों की वजह से सेहत के लिए कई तरह से फायदेमंद है। ये हैं पपीते की पत्तियां। आयुर्वेद में भी पपीते की पत्तियों को कई जानलेवा बीमारियां दूर करने के लिए कारगर माना जाता है। यहां जानें, पपीते की पत्तियों के फायदे…

​ऐसे बनाएं पपीते के पत्ते का रस
पपीते के पत्ते को आप सीधे खा नहीं पाएंगे इसलिए उसका रस पीकर आप उसके सारे फायदे हासिल कर सकते हैं। इसके लिए पपीते की 5 से 10 ताजी पत्तियां लें और उन्हें 5 से 6 बार अच्छी तरह से पानी से धो लें। अब इन्हें जूसर में डालकर अच्छी तरह से पीस लें ताकि वह स्मूथ हो जाए। आप चाहें तो ब्लेंडर का इस्तेमाल कर पत्तियों को अच्छी तरह से क्रश भी कर सकते हैं। अब पत्तियों के जूस को छननी या फि बारीक कपड़े से छान लें। जरूरी नहीं कि इस जूस को आप तुरंत पूरा पी लें। आप इन्हें कांच की बोतल में भरकर फ्रिज में भी रखकर बाद में पी सकते हैं।

​डेंगू में प्लेटलेट्स बढ़ाती है पत्तियां
डेंगू होने पर प्लेटलेट्स की संख्या तेजी से कम होने लगती है। सिरदर्द, बुखार व जोड़ों में दर्द परेशानी को और बढ़ा देता है। खासतौर से प्लेटलेट्स में कमी और बुखार के कारण शरीर में टूटन महसूस होने लगती है। ऐसे में पपीते के पत्ते में मौजूद आयुर्वेदिक गुण बुखार को कम करने के साथ ही प्लेटलेट्स की संख्या को बढ़ाने में भी मदद करते हैं। पपीते में अल्कलॉइड, पेपैन जैसे कई महत्वपूर्ण पोषक तत्व होते हैं जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं। इससे शरीर में फैले संक्रमित वायरस व बैक्टीरिया को काबू करने में मदद मिलती है।

​मलेरिया भी करता है कंट्रोल
अब तक हुए कई एक्सपेरिमेंट्स में यह बात भी सामने आयी है कि पपीते की पत्तियों के जूस या अर्क की मदद से मलेरिया का सफल इलाज हो सकता है। पपीते की पत्तियों में प्लाज्मोडीस्टैटिक प्रॉपर्टीज होती है जो अप्रत्यक्ष रूप से मलेरिया के फीवर को कंट्रोल करने में मदद करता है।

​पाचन तंत्र रहेगा हेल्दी
पपीते की ताजी पत्तियों में पेपिन, काइमोपेपिन औऱ कई जरूरी फाइबर होते हैं और जब इसके जूस का सेवन किया जाता है तो यह हमारे पाचन तंत्र को दुरुस्त करने के साथ ही पेट फूलना, सीन में जलन होना, खट्टे डकार आना, अपच महसूस होना और कब्ज जैसी कई समस्याओं को दूर करने में मदद करता है।

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