PM नरेंद्र मोदी और अमित शाह के खिलाफ झारखंड में केस दर्ज

 
रांची 

झारखंड की राजधानी रांची की निचली अदालत में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री रामदास अठावले के खिलाफ धोखाधड़ी और जालसाजी के आरोप में हाईकोर्ट के एक अधिवक्ता ने केस दायर किया है.

झारखंड हाईकोर्ट के अधिवक्ता डोरंडा निवासी हरेंद्र कुमार सिंह के द्वारा दायर केस पर गुरुवार को न्यायिक दंडाधिकारी अजय कुमार गुड़िया की अदालत में सुनवाई हुई. अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए एक फरवरी की तारीख मुकर्रर की है. अगली सुनवाई के दिन शिकायतकर्ता का बयान शपथ-पत्र पर दर्ज किया जाएगा.

क्या हैं शिकायतकर्ता के आरोप?

शिकायतकर्ता ने अपनी शिकायत में कहा कि साल 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने कहा था कि विदेशों से कालाधन लाएंगे. सभी भारतीयों के खाते में 15-15 लाख रुपये डालेंगे. साथ ही हर साल तीन लाख सरकारी नौकरियां देंगे. यह बातें भाजपा के घोषणा पत्र में भी थीं.

नरेंद्र मोदी ने यह वादा सात नवंबर 2013 को छत्तीसगढ़ में किया था. ऐसा कहकर नरेंद्र मोदी ने लोगों को ठगा और बहुमत पाया. यही जुमला भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह ने भी अपनाया था. अमित शाह ने एक इलेक्ट्रॉनिक चैनल को पांच फरवरी 2015 को कालाधन आने पर भरतीयों को 15-15 लाख रुपए मिलने की बात को लोकोक्ति कहा और इसे चुनावी उद्देश्य बताया था.

अठावले पर क्या है आरोप

केंद्रीय राज्यमंत्री  रामदास अठावले ने 18 दिसंबर 2018 को महाराष्ट्र के सांगली में भरोसा दिलाया था कि कालाधन आने पर 15-15 लाख प्रत्येक भारतीय को मिलेंगे. शिकायतकर्ता ने 21 दिसंबर 2019 को भाजपा अध्यक्ष अमित शाह द्वारा एक न्यूज चैनल को दिए साक्षात्कार का भी हवाला दिया. उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ने भी कहा कि वह अपने घोषणा पत्र पर अडिग है, लेकिन अब भाजपा कालाधन आने पर भारतीयों को 15-15 लाख रुपये मिलने की बात से पीछे खिसक रही है. यह चुनावी वादा था, जिसे पूरा नहीं किया गया. 15-15 लाख रुपये मिलने की बात कहकर लोगों को बेवकूफ बनाया गया.

किस धारा के तहत दर्ज हुआ है मुकदमा?

शिकायतकर्ता का कहना है कि उसने सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीआई) के माध्यम से भी प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से पूछा था कि लोगों के पास 15-15 लाख रुपये कब आएंगे? शिकायतकर्ता के अनुसार इसका जवाब मिला कि ये आरटीआई के दायरे में नहीं आता है. उनके किए गए वादों से मैं और हर भारतीय अपने आप को ठगा महसूस कर रहा है. वे लोग अपने किए वादे से मुकर गए हैं. हाईकोर्ट के अधिवक्ता हरेंद्र की शिकायत पर भारतीय दंड विधान की धारा 415, 420 और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 123 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है.

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