स्तन में होने वाली ज्यादातर गांठे ब्रेस्ट कैंसर नहीं होतीं

इन दिनों कैंसर दुनियाभर में तेजी से बढ़ रहा है और यही वजह है कि लोगों में इसको लेकर भ्रांतियां और जानकारी का अभाव भी सामने आ रहा है। चूंकि भारत में महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं लिहाजा आपके लिए यह जानना बेहद जरूरी है कि स्तनों में होने वाली सभी गांठें कैंसर नहीं होतीं।

स्तन में होने वाली गांठों के विषय में अक्सर जानकारी का अभाव रहता है। दरअसल स्तन उन ग्रन्थियों का नाम है, जिनका मुख्य काम नवजात शिशु के आहार के लिए दूध उपलब्ध कराना है। स्त्री व पुरुष दोनों में मौजूद होने के बावजूद ये ग्रन्थियां केवल महिलाओं में ही विकसित व सक्रिय रहती हैं। स्तन-विकास और सक्रियता में भी स्त्री-हॉर्मोन एस्ट्रोजेन-प्रोजेस्टेरॉन-प्रोलैक्टिन-ऑग्जीटोसिन प्रमुख भूमिका निभाया करते हैं।

स्तन में मिलती हैं ये चार तरह की गांठें:
1. फायब्रोएडिनोमा: ये बेनाइन (अकैंसरीय) गांठ है, जो अमूमन युवा महिलाओं में मिलती हैं।
2. स्तन की सिस्ट: ये भी बेनाइन द्रव से भरी मुलायम गांठें होती हैं।
3. फायब्रोसिस्टिक: ये भी बेनाइन गांठें हैं, जो अपेक्षाकृत प्रौढ़ महिलाओं में मिलती हैं। इनमें फाइब्रस ऊतक (टिशू) भी पाए जाते हैं।
4. स्तन-कैंसर: ये दर्दहीन और सभी गांठों में सर्वाधिक कड़ी गांठ होती हैं।

रहना होगा जागरूक
इन गांठों को समय रहते जल्द-से-जल्द ढूंढ़ा जा सके, इसके लिए महिलाओं को रोज स्तनों का स्वयं परीक्षण करना चाहिए। यह काम स्नान के समय किया जा सकता है और इसमें अधिक समय नहीं लगता। अगर एक बार गांठ की उपस्थिति लगे, तो फिर निकटम सर्जन/एंडोक्राइन सर्जन से परामर्श लेना चाहिए। गांठ के मुआयने के बाद वे उसका अल्ट्रासाउंड, मैमोग्राम, बायोप्सी या अन्य हॉर्मोन टेस्ट करा सकते हैं।

हॉर्मोन चेंज के कारण होता है बदलाव
स्तन में होने वाले ढेरों बदलाव महिलाओं के भीतर मासिक धर्म में हो रहे हॉर्मोनीय बदलावों के कारण पैदा होते हैं। शरीर में जिस तरह से हॉर्मोनों की मात्रा घटती-बढ़ती है, उसी कारण स्तनों के आकार-आकृति में भी परिवर्तन के साथ गांठें बना करती हैं, जो कई बार खुद भी खत्म हो जाती हैं। लेकिन चूंकि गांठों के कई प्रकार हैं, इसलिए इनकी उपस्थिति पर डॉक्टर से परामर्श लेना ही उचित रहता है।

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