सेहत के लिए कितना फायदेमंद लैब मीट

बहुत जल्‍द लैब में तैयार किया गया मीट या कहें कल्‍चर्ड मीट आपको सुपर मार्केट में मिलने लगेगा। ऐसी खबरें हैं कि महाराष्‍ट्र सरकार और इंस्टिट्यूट ऑफ केमिकल टेक्‍नॉलजी (आईसीटी) ने हाल ही में अमेरिका के एनजीओ गुड फूड इंस्टिट्यूट (जीएफआई) के साथ एक समझौता किया है। इसके तहत देश में सेल बेस्‍ड मीट रिसर्च और प्रडक्‍शन को प्रोत्‍साहन देने के लिए एक सेंटर खोला जाएगा।

क्‍या है लैब मीट
कुछ लोग जानवरों से मिलने वाला प्रोटीन तो अपनी डायट में शामिल करना चाहते हैं लेकिन उससे इसलिए परहेज करते हैं क्‍योंकि इसके लिए जानवरों को बेरहमी से मारना पड़ता है। ऐसे लोगों के लिए विकल्‍प के रूप में प्रयोगशालाओं या लैब में ही मीट तैयार करने की तकनीक विकसित की जा चुकी है।

इसमें जानवरों को बिना तकलीफ पहुंचाए उनके सेल्‍स ले लिए जाते हैं। लैब में बायोरिएक्‍टर में इन सेल्‍स को कल्‍चर करके उनका ग्राहकों की जरूरत के हिसाब से विकास किया जाता है। इस तरह ये सेल्‍स जरूरी मीट मुहैया कराते हैं। इसे ही लैब मीट या कल्‍चर्ड मीट कहते हैं।

क्‍या हैं फायदे और नुकसान
जानवरों को बिना तकलीफ पहुंचाए मीट उत्‍पादन की इस अनोखी तकनीक से PETA जैसे तमाम संगठन खुश हैं जो जानवरों पर अत्‍याचार का विरोध करते आए हैं। पर इसके बावजूद कुछ लोग इसका विरोध कर रहे हैं। आइए जानते हैं लैब मीट के पक्ष और विपक्ष में क्‍या कहा जा रहा है।

फायदे
इस तकनीक के पक्षधरों का दावा है कि कल्‍चर्ड मीट में मनचाहा बदलाव करने की क्षमता की वजह से लोगों के स्‍वास्‍थ्‍य और पोषण पर सीधा असर पड़ेगा। उदाहरण के लिए आमतौर पर मीट में सैचुरेटेड फैट होता है लेकिन कल्‍चर्ड मीट में उसकी जगह ओमेगा 3 फैटी एसिड और हेल्‍दी फैट शामिल किए जा सकते हैं। इसके अलावा कल्‍चर्ड मीट से ऐसे विटमिन और मिनरल भी प्राप्‍त किए जा सकते हैं जो नेचरल मीट में कम होते हैं या होते ही नहीं हैं।

नुकसान

जिन आधारों पर लैब में तैयार जेनेटिकली मॉडिफाइड अनाज का विरोध हो रहा है उसी तरह लैब मीट का विरोध होने लगा है। इसका विरोध करने वाले लोगों का कहना है कि यह 'अप्राकृतिक' है। कुछ लोग यह कह कर इसका विरोध कर रहे हैं कि इसमें हड्डी और फैट वगैरह नहीं होगा तो इसका टेस्‍ट नेचरल मीट की तरह नहीं होगा। लैब मीट का इस आधार पर भी विरोध हो रहा है कि चूंकि यह आसानी से मिलने वाला सस्‍ता मीट होगा इसलिए इसकी खपत जरूरत से ज्‍यादा होगी। जब लोग ज्‍यादा खाएंगे तो उनमें मोटापे जैसी बीमारियां होने का जोखिम भी ज्‍यादा होगा।

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