सिल्वर जुबली डेब्यू के बावजूद 4 साल तक बेरोजगार रहा: रॉनित रॉय

सामान बेचकर 100 परिवारों को संभाल रहे हैं रॉनित रॉय, कहा- जनवरी से नहीं आया पैसा, खुदकुशी नहीं कीईटाइम्स टीवी को दिए इंटरव्यू में रॉनित रॉय ने न सिर्फ आत्महत्या के बढ़ते मामलों पर बात की, बल्कि अपने संघर्ष के दिनों की कहानी भी बताई। साथ ही उन्होंने बताया कि उन्हें जनवरी 2020 से पेमेंट नहीं मिली है पर फिर भी उन्हें उन 100 परिवारों को संभालना है जिनकी जिम्मेदारी उनके ऊपर है।

संघर्ष के दिनों को याद करते हुए रॉनित रॉय ने बताया, 'मेरी पहली फिल्म 1992 में आई 'जान तेरे नाम' थी जो ब्लॉकबस्टर रही। यह फिल्म सिल्वर जुबली फिल्म थी यानी आज के हिसाब से 100 करोड़ के क्लब वाली फिल्म। मेरी डेब्यू फिल्म उस लेवल की थी। 1992 में वह रिलीज हुई और अगले 6 महीने तक मुझे एक भी फोन कॉल नहीं आई। इसके बाद मुझे एकदम बकवास काम मिलने लगा और वह मैंने 3 सालों तक किया। 1996 तक आते-आते काम मिलना बंद हो गया। 4 सालों तक मैं बेरोजगार घर पर बैठा रहा।'

मां के घर जाते थे खाना खाने
वह आगे बोले, 'मेरे पास एक छोटी कार थी, लेकिन पेट्रोल के लिए पैसा नहीं था। खाना खाने के लिए मैं मां के घर पैदल जाता था क्योंकि एक सिल्वर जुबली फिल्म देने के बावजूद मेरे पास पैसे नहीं थे।'

'ऐसी स्थिति में भी आत्महत्या नहीं की'
रॉनित रॉय ने आगे कहा, 'लेकिन मैं खुद की जान नहीं ली। मैंने आत्महत्या नहीं की। मैं किसी को जज नहीं कर रहा हूं। लेकिन हर कोई जिंदगी में किसी न किसी मोड़ पर आर्थिक तंगी का शिकार होता है। अगर आप इस दौर से गुजर रहे हैं तो खुद की जान लेना कोई समाधान नहीं है। मुझे इसमें कोई समझदारी वाली बात नजर नहीं आती।'

नॉन पेमेंट पर रॉनित- वो पैसे तो दीजिए जिनपर हक है
इंडस्ट्री में सदियों से चले आ रहे 90 दिनों के पेमेंट वाले नियम को लेकर खूब बहस चल रही है। इस पर रॉनित रॉय ने कहा, 'जब आप स्टार बनना चाहते थे। जब आपको रोल मिल गया और आपने कॉन्ट्रैक्ट पढ़ लिया और उस 90 दिनों के पेमेंट वाले नियम पर भी साइन कर दिया। तब तो इसमें किसी की गलती नहीं है। अगर आपको उन नियमों से तकलीफ है तो आपको तुरंत ही मना कर देना चाहिए था। लेकिन मैं यह भी समझता हूं कि अभी सब एक अलग ही स्थिति से गुजर रहे हैं। प्रॉडक्शन हाउस या फिर चैनल, उन्हें समझना चाहिए कि ये लोग उनकी टीम का हिस्सा हैं। इस वक्त हर किसी का काम बंद है। सब घर बैठे हैं और रोजमर्रा के खर्च चलाने के लिए उन्हें किसी न किसी तरह पैसों की व्यवस्था करनी है। आप उन्हें एक्स्ट्रा पैसे मत दीजिए, लेकिन कम से कम वे पैसे तो दीजिए जो उनके हैं। जिनका पैसा बनता है उनको तो मिलना चाहिए।'

'जनवरी से पैसे नहीं मिले, सामान बेचकर संभाल रहा 100 परिवार'
'अपनी बात करूं तो मुझे जनवरी से पैसे नहीं मिले हैं। मेरा एक छोटा सा बिजनस है जो अच्छा-खासा चल रहा था लेकिन मार्च से वह भी ठप है। मेरे पास जो भी चीजें हैं उन्हें बेचकर मैं उन 100 परिवारों को संभाल रहा हूं जिनकी जिम्मेदारी मेरे ऊपर है। मैं कोई अमीर आदमी नहीं हूं लेकिन फिर भी मैं कर रहा हूं। तो ये जो प्रॉडक्शन हाउस और चैनल हैं जिनके इतने शानदार और आलीशान ऑफिस हैं कि 2 किलोमीटर दूर से भी नजर आते हैं, उन्हें जरूर कुछ करना चाहिए। उन्हें इन लोगों की देखरेख करने की जरूरत है। उन्हें आपको 90 दिन की पेमेंट करनी होगी। बकाया पैसा देना होगा क्योंकि यह सही नहीं है। आप उन्हें 90 दिनों बाद पेमेंट करेंगे, लेकिन उन्हें तो पैसों की अभी जरूरत है। वे भूखे नहीं रह सकते।'

'आर्टिस्टों के बकाया पैसे दें प्रॉडक्शन हाउस और चैनल'
रॉनित रॉय ने प्रॉडक्शन हाउसों से गुजारिश की वे जरूरतमंद ऐक्टरों, कलाकारों और अन्य आर्टिस्टों के बकाया पैसे दे दें। वह बोले, 'मैं दोनों पार्टियों से गुजारिश करता हूं कि अगर आप पूरी पेमेंट अभी नहीं दे सकते हैं तो कम से कम इतना पैसा तो दे ही दें कि आर्थिक तंगी झेल रहे कलाकार डेली का खर्चा उठा सकें। जरूरत का सामान खरीद सकें। आप भले ही उस आदमी को जानते हों, चाहे 6 महीने से या 1 साल से, लेकिन आपको उसे पैसे देने चाहिए।'

'अकेला आदमी भूखा सो जाए पर बच्चों को भूखा नहीं सुला सकता'
उन्होंने आगे कहा, 'जो लोग आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं, उनसे मैं कहना चाहता हूं कि अपनी समस्याओं को पूरी तरह से समझो। मैं अच्छी तरह समझता हूं कि भूखा रहना क्या होता है। मैं 4 साल तक सर्वाइव कर पाया क्योंकि उस वक्त मेरी फैमिली नहीं थी। अकेला आदमी भूखा सो सकता है लेकिन बच्चों को भूखा नहीं सुला सकता। मैं उन सभी से कहना चाहता हूं कि यह वक्त भी गुजर जाएगा। लेकिन कोई गलत कदम मत उठाइए। मुश्किल वक्त से लड़ने के लिए मुश्किल फैसले लेने पड़ते हैं। लेकिन इसमें भी हम जीतेंगे। मजबूत बनिए। डटे रहिए। ढेर सारा प्यार आपको। अपना ख्याल रखिए।

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