सावधान! कहीं आपके आसपास भी कोई PUBG तो नहीं खेल रहा है?

रायपुर 
मार..मार..मार…डैमेज कर दे…छोड़ना नहीं….छोड़ना नहीं…खत्म कर..खत्म कर..मार न…मारेगा तो ही टारगेट पूरा होगा…मार न यार. ​छत्तीसगढ़ के भिलाई में शांतिनगर गार्डन में बैठे कुछ किशोरों के एक समूह में सबकी नजर मोबाइल फोन पर थी और आवाज आ रही थी. मार..दे..छोड़ना मत. टारगेट पूरा करना है. पास जाकर पूछने पर पता चला कि वे एक ऑनलाइन मोबाइल गेम PUBG खेल रहे हैं. शहर हो या गांव, घर हो या गार्डन, बस हो या ट्रेन कहीं न कहीं लोग ये गेम खेलते मिल ही जाएंगे.

Player Unknown’s Battleground यानी PUBG खेलने की लत लोगों में बढ़ती जा रही है. किशोर और बच्चों में ये लत अपराध का कारण भी बन रही है. छत्तीसगढ़ सहित देश में कई ऐसे मामले हैं, जिनमें PUBG या दूसरे ऑनलाइन मोबाइल गेम की लत ने अपराध करने पर मजबूर कर दिया. कई मामलों में तो लोगों की जान तक चली गई है. ये गेम कितना खतरनाक हो सकता है, इसके बारे में जानें, इससे पहले जानते हैं वे मामले, जिनमें ऑनलाइन मोबाइल गेम की लत ने खासकर बच्चों को किस तरह से एक प्रकार का रोगी बना दिया है, जिसमें वे अपराध करने और खुद को नुकसान पहुंचाने से भी नहीं डरते हैं.

छत्तीसगढ़ के कोरबा में पब्जी गेम की लत ने एक 9वीं कक्षा के छात्र को मोबाइल फोन चोरी करने को मजबूर कर दिया. कोरबा के कोतवाली थाना प्रभारी दुर्गेश शर्मा ने बताया कि पब्जी गेम के चक्कर में मोहल्ले के ही एक घर से दो मोबाइल फोन की चोरी बच्चे ने की. पुलिस से शिकायत के बाद मोबाइल फोन के लोकेशन के आधार पर 27 अप्रैल 2019 को पुलिस की टीम नाबालिग तक पहुंची. पुलिस की पूछताछ में नाबालिग ने बताया कि पब्जी गेम के चक्कर मे मोबाइल की चोरी की है. नाबालिग को गिरफ्तार कर उसे बाल सुधार गृह भेज दिया गया है.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार फरवरी 2019 में मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा में परासिया के रहने वाल एक युवक पबजी गेम खेल रहा था, इस दौरान उसे प्यास लगी. वह गेम में इतना मशगूल था कि पानी की बोतल के फेर में एसिड की बोतल उठाकर पी गया. जबतक उसे समझ में आता वो कुछ घूंठ एसिड पी चुका था. मार्च 2019 में तेलंगाना के जगतैल जिले के रहने वाला सागर 45 दिनों से लगातार पबजी मोबाइल गेम खेल रहा था, जिसके कारण उसके गर्दन में काफी तेज दर्द होने लगा. असहनीय दर्द होने के बाद उसे हैदराबाद के अस्पताल में भर्ती करवाया गया, जहां उसने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया. ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं.

पब्जी से पहले मोबाइल गेम ब्लू व्हेल की वजह से भी कई घटनाएं हो चुकी हैं. सितंबर 2017 में बालोद में पांच बच्चों को ब्लू व्हेल गेम खेलते पकड़ा गया. दंतेवाड़ा में एक स्कूल के 14 बच्चों के हाथ पर कट के ताजा निशान मिले. इन बच्चों द्वारा भी ब्लू व्हेल गेम खेले जाने का शक था. बालोद के ड्रीम इंडिया स्कूल के 5 बच्चों को ब्लू व्हेल चैलेंजिंग गेम खेलते पकड़े जाने के बाद उन्हें डॉक्टर की देखरेख में रखा गया. इसी दौरान जशपुर और कोरिया में भी ब्लू व्हेल गेम खेलते खुद को नुकसान पहुंचाने के कई मामले सामने आए.

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के मेंटल हेल्थ के नोडल अधिकारी डॉ. आरके चन्द्रवंशी का कहना है कि ऑनलाइन मोबाइल गेम की लत के कारण मानसिक रूप से बीमार होने का खतरा अधिक रहता है. एक तरह से उन्हें बाइपोलर डिसऑर्डर हो जाता है. ऐसे मामलों में लोग गेम में लगातार जितने पर वे कई दिनों या महीनों तक खुश रहते हैं और हारने पर वे डिप्रेशन में चले जाते हैं. धीरे धीरे दिमागी तौर पर वे बीमार होने लगते हैं. कई मामलों में ये बीमारी जानलेवा भी साबित हो जाती है.

ऑनलाइन मोबाइल गेम की लत सबसे ज्यादा बच्चों और युवाओं में देखने को मिल रही है. छत्तीसगढ़ की जानी मानी मनोविज्ञानी और काउंसलर डॉ. अंबा सेठी कहती हैं कि बच्चों में इस तरह की लत के पीछे पहला मुख्य कारण पालकों का गैर जिम्मेदराना रवैया होता है. ज्यादातर मामलों में देखा गया है कि पालक बच्चों को खाना खिलाने या फिर उन्हें किसी प्रकार की मस्ती करने से रोकने के लिए उनके हाथ में मोबाइल फोन पकड़ा देते हैं. दूसरा मुख्य कारण अकेलापन है. अकेलेपन के कारण मनोरंजन के लिए मोबाइलफोन या टीवी पर निर्भरता हो गई है, जिससे वे इस तरह के गेम खेलने की लत पाल लेते हैं. इसके अलावा परिवार व बच्चों के आसपास का माहौल भी इसके लिए जिम्मेदार है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *