सस्ती दवाओं और उपकरणों के बाद अब क्या तोहफा देगी मोदी सरकार?

 नई दिल्ली 
हेल्थ सेक्टर में निजी क्षेत्र की भारी लूट और सरकारी क्षेत्र में हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर की बेहद कमी की वजह से अच्छी गुणवत्ता का इलाज गरीबों के लिए सपना ही रह जाता है. हालांकि पीएम मोदी द्वारा पिछले कार्यकाल में ही दखल की वजह से इस स्थिति में कुछ हद तक बदलाव आया है. गरीबों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने की दिशा में मोदी सरकार ने कई अच्छे प्रयास किए हैं. इन्हीं में से एक है, सस्ती दवाओं और उपकरणों की उपलब्धता, लेकिन इस सेक्टर में अभी काफी काम करने की जरूरत है. देखना यह है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण उच्चस्तरीय इलाज को गरीबों की जेब तक लाने के लिए और क्या कदम उठाती हैं.

दवाओं की कीमतों पर नियंत्रण

मोदी सरकार ने जीवनरक्षक दवाओं की कीमतों पर काफी हद तक नियंत्रण कायम किया है. राष्ट्रीय औषधि मूल्य प्राधिकरण (एनपीपीए) अभी डीपीसीओ के शेड्यूल-1 के तहत आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची में रखी गईं दवाओं के दाम तय करता है. अभी तक करीब 1000 दवाओं को प्राइस कंट्रोल के दायरे में लाया जा चुका है. नॉन-शेड्यूल दवाओं को हर साल कीमत को 10 फीसदी बढ़ाने की छूट होती है. इन पर भी नजर रखी जाती है. इसके अलावा देश के 22 लाख से भी ज्यादा कैंसर मरीजों को एक बार फिर सरकार ने बड़ी राहत दी है. अब सरकार ने 390 कैंसर दवाओं को मूल्य नियंत्रण में लाकर सस्ता कर दिया है. इस फैसले से कैंसर की दवाएं 87 फीसदी कम कीमतों में उपलब्ध होंगी. 
 

मुनाफाखोरी पर चोट

सरकार कृत्रिम घुटने और स्टेंट के दामों को भी नियंत्रित कर चुकी है और इनके दाम काफी नीचे आ गए हैं. पीएम मोदी अपने भाषणों में बार-बार इस बात का जिक्र करते हैं कि किस तरह से स्टेंट के दाम में भारी गिरावट आई है. हॉर्ट को रक्त की आपूर्ति दुरुस्त करने वाले कार्डिएक स्टेंट की कीमत तय करने वाले राष्ट्रीय औषधि मूल्य प्राधिकरण (एनपीपीए) के फरवरी, 2017 के आदेश से मोदी सरकार की लोकप्रियता काफी बढ़ी थी. इससे स्टेंट के दाम में भारी गिरावट आई थी. फरवरी, 2017 को स्टेंट की कीमत को बेयर मेटल स्टेंट (बीएमएस) के लिए 7,260 और ड्रग एल्यूटिंग स्टेंट (डीईएस) के लिए 29,600 रुपये तय कर दिए. उससे पहले बेयर मेटल स्टेंट का मूल्य औसतन 45,000 रुपये था और ड्रग एल्यूटिंग स्टेंट औसतन 1.2 लाख रुपये में मिल रहा था. इस तरह इस पर 270 प्रतिशत से ले कर 1,000 प्रतिशत तक का भारी मुनाफा कमाया जा रहा था.
 
अब आगे क्या हो सकता है

अब देशभर के मरीजों को बड़ी राहत देने के लिए सरकार ने मानव शरीर में प्रत्यारोपित होने वाले सभी तरह के इम्प्लांट्स को दवा की श्रेणी में लाने की तैयारी कर ली है. इस फैसले के बाद सरकार को पेसमेकर, हाॅर्ट वॉल्व, लेंस से लेकर आर्टिफिशियल हिप सहित करीब 400 से ज्यादा तरह के इम्प्लांट्स को रेगुलेट करने का अधिकार मिल जाएगा. इससे इन डिवाइसेज के दाम करीब 50 फीसदी तक कम हो सकते हैं. जीएसटी से ऐसे कई उपकरणों के दाम पहले ही बढ़ गए हैं. ऐसे में सरकार के लिए राहत भरे कदम उठाना अनिवार्य हो गया है.

यही नहीं, अब सरकार ने मेडिकल डिवाइसेज (एमआरआई, सिटी स्कैन, एक्स-रे सहित अन्य चिकित्सीय उपकरण) की कीमत को भी रेगुलेट करने की तैयारी कर रही है.  

दवाओं की कीमत निर्धारित करने वाली संस्था एनपीपीए सिर्फ जीवनरक्षक दवाओं की कीमत निर्धारित करती है. देश में दवाओं का घरेलू उद्योग करीब 1 लाख करोड़ का है जिसका सिर्फ 17 फीसदी ही कीमत नियंत्रण के दायरे में है. इसलिए अब बिना डॉक्टर के पर्चे के काउंटर पर बिकने वाली दवाइयों की कीमतों पर भी लगाम लगाने की तैयारी हो रही है.

शुक्रवार को पेश होने वाले बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण हेल्थ सेक्टर से जुड़ी ऐसी कुछ जनोपयोगी योजनाओं का ऐलान कर सकती हैं.

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