सरकार ने हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के निर्यात पूर्ण रोक हटाई

नई दिल्ली

केंद्र सरकार ने कोरोना से निपटने में कारगर मानी जा रही मलेरिया की दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के निर्यात से पूरी तरह रोक हटाने के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी है. केंद्रीय रसायन एवं उर्वर​क मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा ने यह जानकारी दी है.

उन्होंने बुधवार को बताया कि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के एपीआई यानी बल्क ड्रग और उसके फॉर्मूलेशन, दोनों के निर्यात से प्रतिबंध हटा लिया गया है. गौरतलब है कि इस दवा के कॉमर्शियल निर्यात पर केंद्र सरकार ने गत 25 मार्च को रोक लगा दी थी. हालांकि मानवीय आधार पर कई देशों को इसकी खेप भेजी गई. लेकिन इसका निर्यात निजी कंपनियों को नहीं सिर्फ सरकारों को किया जा रहा था.

ये है शर्त

केंद्रीय मंत्री सदानंद गौड़ा ने ट्वीट कर बताया, 'एसईजेड/ईओयू इकाइयों के अलावा अन्य सभी मैन्युफैक्चरर्स को अपनी कुल आपूर्ति का कम से कम 20 फीसदी हिस्सा भारतीय बाजार में आपूर्ति करना होगा. DGFT से इस बारे में एक औपचारिक नोटिफिकेशन जारी करने को कहा गया है.'

कई देशों में हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन का इस्तेमाल कोविड-19 के मरीजों से निपटने में किया जा रहा है. इसके अलावा देश से फार्मा निर्यात को बढ़ाने के लिए भी गौड़ा ने फार्मा कंपनियों और अपने मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बात की है.

गौरतलब है कि भारत से अप्रैल से जनवरी 2019-20 में 1.22 अरब डॉलर के हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन एपीआई यानी एक्टिव फार्मा इनग्रेडिएंट का निर्यात किया गया था. इसी दौरान हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन से बने फॉर्मूलेशन का करीब 5.50 अरब डॉलर का निर्यात किया गया. यानी इस दौरान हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन का कुल निर्यात करीब 6.72 अरब डॉलर का हुआ.

अमेरिका में काफी मांग

इंडियन ड्रग मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (IDMA) के अनुसार, अमेरिका सहित अंतरराष्ट्रीय बाजार में हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा की काफी मांग है. गुजरात के फूड ऐंड ड्रग कंट्रोल एडमिनिस्ट्रेशन के ​एक अधिकारी के अनुसार, अकेले गुजरात में इस दवा को बनाने के लिए 68 नए लाइसेंस जारी किए गए हैं.

राष्ट्रपति ट्रंप ने किया था अनुरोध

भारत ने मलेरिया की दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन और एक अन्य महत्वपूर्ण दवा पैरासीटामॉल के अमेरिका सहित कई देशों की सरकारों को निर्यात की मंजूरी दी थी. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने खुद पीएम नरेंद्र मोदी को फोन कर निर्यात को खोलने का अनुरोध किया था.

भारत में पहले हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन का उत्पादन 10 टन का होता था, जिसके अब बढ़कर 70 टन तक पहुंच जाने का अनुमान है. जाइडस, इप्का, जैसी कंपनियों ने अपना उत्पादन कई गुना बढ़ा दिया है. अमेरिका के अलावा स्पेन, इटली, फ्रांस, जर्मनी, पाकिस्तान, नेपाल जैसे कई देशों से हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की मांग है.

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