शासकीय स्कूलों में पढ़ाई ठप्प, चुनाव ड्यूटी में लगाए गए शिक्षकों ने दी आंदोलन की चेतावनी

भोपाल
प्रदेश में भारी बारिश (Rains) और बाढ़ (Flood) के बीच में जैसे तैसे परीक्षाएं (Exams) आयोजित हुईं, परीक्षाओं के परिणाम (Results) भी चौंकाने वाले रहे. इन परिणामों की आंच शिक्षकों (Teachers) पर आए इससे पहले ही वो बड़े आंदोलन (agitation) की तैयारी में हैं. शिक्षक बार-बार चुनाव की ड्यूटी से परेशान हैं तो कभी विधानसभा तो कभी लोकसभा चुनाव का कार्य तो अब निकाय चुनावों से पहले बीएलओ की ड्यूटी.

प्रदेश भर के 22 हजार से ज्यादा शिक्षक निकाय चुनावों के लिए डोर-टूर सर्वे करने में जुटे हैं. निकाय चुनावों की आहट से पहले ही मतदाता सूची को दुरूस्त करने, नए मतदाताओं को जोड़ने और बाहर जा चुके मतदाताओं को हटाने का काम बड़े स्तर पर किया जा रहा है. इसके लिए ज्यादातर शिक्षक प्रदेश भर में लोगों के घर जाकर सर्वे कर मतदाता सूची को अपडेट करने में जुटे हैं. ऐसे में स्कूलों में पढ़ाई ठप पड़ी हुई है. प्रदेश में एक तरफ तो 72 हजार से ज्यादा शिक्षकों की कमी है, वहीं 22 हजार से ज्यादा स्कूल केवल एक शिक्षक के भरोसे हैं. ग्रामीण इलाकों में एक शिक्षक पर सारी कक्षाओं की जिम्मेदारी है. ऐसे में कुछ शिक्षक लंबे समय से प्रतिनियुक्ति पर हैं. बावजूद इसके शिक्षकों को निकाय चुनाव की तैयारियों में लगा दिया गया है.

ऐसा पहली बार नहीं है जब शिक्षकों को चुनावी ड्यूटी का कार्य दिया जा रहा है. इससे पहले भी शिक्षकों की इस तरह के कार्यों में ड्यूटी लगाई गई थी जो अनोखी रही है. भाजपा सरकार में प्याज की बंपर आवक के समय प्याज के सरंक्षण में शिक्षकों की ड्यूटी लगाई जा चुकी है, वहीं मुख्यमंत्री कन्यादान योजना में भी शिक्षकों को काम सौंपा गया था.

स्कूल शिक्षा मंत्री प्रभुराम चौधरी का कहना है कि चुनावी ड्यूटी से जरूर शैक्षणिक कार्य प्रभावित हो रहा है, लेकिन अब निर्वाचन अधिकारी का फैसला है. लेकिन वो जल्दी ही शिक्षकों को इस ड्यूटी से हटाने के लिए बात करेंगे. भाजपा के पूर्व मंत्री उमाशंकर गु्प्ता का कहना है कि ये शिक्षा के साथ खिलवाड़ है. बार-बार तय होने के बाद भी शिक्षकों पर जिम्मेदारी सौंपी जा रही है.

शिक्षा विभाग ने यह निर्देश दिया है कि अगर रिजल्ट खराब होता है तो खराब रिजल्ट देने वाले स्कूलों के शिक्षकों पर कार्रवाई की जाएगी. ऐसे में शिक्षकों का यही कहना है कि हम पढ़ाई करवाएं या फिर बार-बार चुनावी ड्यूटी करें. पढ़ाई प्रभावित होने पर कार्रवाई भी हम पर ही की जाएगी. चुनावी ड्यूटी से परेशान शिक्षक अब दशहरे के बाद बड़े आंदोलन की तैयारी में हैं.

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