जबलपुर का अनोखा रावण-भक्त, नवरात्रि में करता है दशानन की पूजा

जबलपुर
आजकल शारदीय नवरात्र (Navratri 2019) में पूरा देश जहां मां दुर्गा की पूजा-आराधना में डूबा हुआ है. वहीं जबलपुर (Jabalpur) का एक शख्स, इन भक्तों से बिल्कुल ही अलग तरह की पूजा-अर्चना में डूबा हुआ है. जी हां, जबलपुर में रहने वाला संतोष नामदेव उर्फ लंकेश नामक यह शख्स नवरात्र के दिनों में रावण की पूजा (Ravan worship in Navratri) करता है. लंकेश की कहानी सुनने और समझने में आपको जरा अजीब लगेगी, लेकिन मध्य प्रदेश की संस्कारधानी समेत पूरे महाकौशल में दशानन की पूजा करने वाले इस शख्स की खूब चर्चा है. नवरात्र की पंचमी पर दशानन की प्रतिमा स्थापित करना और दशहरे पर विसर्जन की परंपरा का पालन, लंकेश पिछले कई वर्षों से लंकापति रावण की पूजा कर रहा है. ऐसे दौर में जबकि राम की भक्ति की चर्चा चहुंओर हो रही है, रावण की महिमा में डूबे लंकेश की कहानी वाकई सबसे अलग है.

भगवान राम को पूजने वाले कई लोगों को आप जानते होंगे, लेकिन जबलपुर के लंकेश की रावण-भक्ति की कहानी आपको हैरत में डाल देगी. जबलपुर के पाटन इलाके में रहने वाले लंकेश अपनी इस अनोखी आस्था के लिए अलग पहचान रखते हैं. नवरात्रि के अलावा अन्य दिनों में जब लोग सुबह उठकर राम का नाम लेते हैं, तो लंकेश रावण की पूजा कर रहे होते हैं. संतोष नामदेव पेशे से टेलर हैं, लेकिन इनकी रावण भक्ति से हर कोई प्रभावित है. दशकों से रावण की पूजा करते आ रहे संतोष की पहचान इसी कारण लंकेश के रूप में बन चुकी है. अब तो नवरात्रि के समय जब वे रावण की प्रतिमा रखते हैं, तो क्षेत्र के लोग भी उन्हें पूरा सहयोग करते हैं. उनके मुहल्ले में रावण की शोभायात्रा धूमधाम से निकाली जाती है.

रावण की पूजा करने वाले संतोष की भक्ति को देख अब उनके परिवार और पड़ोस के लोग भी उनका साथ देने लगे हैं. भले ही हमारा समाज रावण की बुराइयों की अनेक कहानियां सुनाता हो, लेकिन लंकेश दशानन की अच्छाइयों से सीख लेकर आगे बढ़ रहे हैं. उनकी इस रावण-भक्ति के पीछे बड़ी दिलचस्प कहानी है. संतोष ने बताया कि बचपन में इन्होंने रामलीला में रावण की सेना में सैनिक का किरदार निभाया था. कुछ सालों बाद इन्हें रावण का किरदार निभाने का भी मौका मिला. उस किरदार से संतोष इतना प्रभावित हुए कि उन्होंने रावण को ही अपना गुरु और ईष्ट मान लिया. तब से रावण-भक्ति का सिलसिला चला आ रहा है.
 
संतोष नामदेव का मानना है कि रावण बहुत बुद्धिमान और ज्ञानी था. उसके अंदर कोई भी दुर्गुण नहीं था. उसने जो भी किया वह अपने राक्षस कुल के उद्धार के लिए किया था. संतोष ने बताया कि रावण ने सीता का अपहरण करने के बाद उन्हें अशोक वाटिका में रखा, जहां किसी भी नर, पशु-पक्षी, जानवर या राक्षस को जाने की अनुमति नहीं थी. यह सीता के प्रति उसकी सम्मान की भावना ही थी. रावणभक्त लंकेश की अपने ईष्ट के प्रति आस्था ही है कि उन्होंने अपने दोनों बेटों का नाम भी मेघनाद और अक्षय रखा है, जो रावण के पुत्रों के नाम थे. संतोष ने बताया कि वे पिछले 40 वर्षों से रावण की भक्ति कर रहे हैं. उनका मानना है कि जो कुछ भी उनके पास है वह सब रावण की भक्ति से ही मिला है.

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