शर्तों के बंधन में बंध गयी PHD स्कॉलर्शिप
भोपाल
खाली खजाने के बीच योजनाओं को जारी रखने के लिए सरकार ने कई तरह के ब्रेक लगा दिए है। प्रदेश में संस्कृत अध्ययन के लिए दी जाने वाली सरकारी मदद अब उन्हीं परिवारों के बच्चों को मिलेगी जिनके परिवार की वार्षिक आय 54 हजार रुपए वार्षिक हो। इसी तरह अनुसूचित जाति, जनजाति के आरक्षित वर्ग के वे विद्यार्थी ही पीएचडी के लिए सरकारी मदद ले पाएंगे जिनके परिवार की आय तीन लाख रुपए से अधिक ना हो।
एक ओर सरकार आर्थिक आधार पर आरक्षण के लिए दस लाख रुपए की आय सीमा तय कर रही है वहीं आरक्षित वर्गो को भी शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ने के अवसर परिवार की आय सीमा के आधार पर गुपचुप रुप से घटाए जा रहे है।
उच्च शिक्षा विभाग ने विश्वविद्यालयों में अध्ययनरत विद्यार्थियों के लिए पीएचडी के लिए छात्रवृत्ति हेतु 31 अक्टूबर 2019 तक आवेदन बुलाए है लेकिन इसमें कई तरह की शर्ते तय कर दी है। विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में अध्ययनरत अनुसूचित जाति और जनजाति के विद्यार्थियों को पीएचडी के लिए छात्रवृत्ति योजना को वर्ष 19-20 में जारी रखने के लिए जो नियम जारी किए है उसमें मध्यप्रदेश का मूल निवासी होना अनिवार्य किया गया हो। आरक्षित वर्ग से होंने का जाति प्रमाणपत्र कलेक्टर या सक्षम अधिकारी से लेना जरुरी होगा। आवेदक के माता-पिता की आय तीन लाख रुपए से अधिक नहीं होना चािहए। अतिथि विद्वानों को इस योजना का लाभ नहीं मिल सकेगा। पीएचडी के लिए छात्रवृत्ति लेने पर अन्य कोई छात्रवृत्ति का लाभ नहीं मिलेगा। इस साल पीएचडी के लिए छात्रवृत्ति अनुसूचित जाति के सौ और जनजाति के 56 विद्यार्थियों को ही मिलेगी।
उच्च शिक्षा विभाग द्वारा एकीकृत और संस्कृत छात्रवृत्तियों के लिए तो परिवार की आय सीमा केवल 54 हजार रुपए रखी गई है। शासकीय महाविद्यालयों में कम्प्यूटर एवं प्रबंधन में नि:शक्तजन विद्यार्थियों द्वाराको शिक्षा प्राप्त करने के लिए जो जीवन निर्वाह भत्ता और परिवहन भत्ता सरकार देती है उसके लिए सरकार ने परिवार की आय सीमा एक लाख रुपए वार्षिक आय सीमा रखी गई है। चालीस प्रतिशत या अधिक नि:शक्तता होना अनिवार्य रखा गया है। इस योजना के तहत पंद्रह सौ रुपए मासिक निर्वाह भत्ता और नगर निगम में पांच सौ रुपए तथा नगर पालिका में तीन सौ रुपए प्रतिमाह की दर से राशि दी जाती है।
विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में अध्ययनरत सामान्य, अनुसूचित जाति, जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के दिव्यांग विद्यार्थियों को पीएचडी के लिए पुरस्कार देने की योजना में परिवार की आय सीमा एक लाख रुपए रखी गई है। इस योजना के तहत तीन चरणों में एक लाख रुपए की मदद सरकार करती है।