वास्तु के अनुसार बनाएं पूजा कक्ष, मिलेगा उम्मीद से दोगुना लाभ

घर में पूजन कक्ष का होना हमारी आध्यात्मिक उन्नति कराता है। यहां आते ही हमारे भीतर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और नकारात्मकता खत्म हो जाती है। यहां हम ईश्वर से जुड़ पाते हैं और उस परम शक्ति के प्रति अपनी आस्था व्यक्त करते हैं इसलिए अगर यह जगह वास्तु के अनुरूप होती है तो उसका हमारे जीवन पर बेहतर असर होता है। 
 
पूजाघर कभी भी शयनकक्ष में नहीं बनवाना चाहिए। यदि परिस्थितिवश ऐसा करना ही पड़े तो वह शयनकक्ष विवाहितों के लिए नहीं होना चाहिए। अगर विवाहितों को भी उसी कक्ष में सोना पड़ता हो तो पूजास्थल को पट या पर्दे से ढंकना चाहिए।

पूजाघर को सदैव स्वच्छ और साफ-सुथरा रखें। पूजा के बाद और पूजा से पहले उसे नियमित रूप से साफ करें। पूजन के बाद कमरे को साफ करना जरूरी है।

पूजाघर के निकट एवं भवन के ईशान कोण में झाड़ू या कूड़ेदान आदि नहीं रखना चाहिए। संभव हो तो पूजाघर को साफ करने का झाड़ू-पोंछा भी अलग ही रखें। जिस कपड़े से भवन के अन्य हिस्से का पोंछा लगाया जाता है उसे पूजाघर में उपयोग में न लाएं।

पूजाघर में यदि हवन की व्यवस्था है तो वह हमेशा आग्रेय कोण में ही करना चाहिए।

पूजास्थल में कभी भी धन या बहुमूल्य वस्तुएं नहीं रखनी चाहिएं।

पूजाघर में प्रतिमाएं कभी भी प्रवेश द्वार के सम्मुख नहीं होनी चाहिएं।

पूजाघर में कलश, गुंबद इत्यादि नहीं बनाना चाहिए।

पूजाघर में किसी प्राचीन मंदिर से लाई प्रतिमा या स्थिर प्रतिमा को स्थापित नहीं करना चाहिए।

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