लोगों को कूड़ा फेंकने से रोकने के लिए सड़क पर रखे ‘भगवान’, लोग पूजा करने लगे

पुणे
देशभर में स्वच्छता के लिए 'स्वच्छ भारत अभियान' चल रहा है, जिसके अंतर्गत शहरों की रैंकिंग भी की जाती है। इस रैंकिंग में अपना स्थान सुधारने के लिए तमाम नगर पालिका और निगमों की ओर से रचनात्मक प्रयास किए जाते रहे हैं। इसी प्रयास के तहत पुणे की पिंपरी-चिंचवड़ नगर निगम (पीसीएमसी) ने लोगों को कूड़ा फेंकने से रोकने के लिए 'भगवान' का सहारा लेना शुरू किया था। हालांकि, विरोध के बाद इसे रोक दिया गया है।

दरअसल, पीसीएमसी ने उन जगहों पर भगवान या देवी-देवताओं की तस्वीरें या पोस्टर लगा दिए थे, जहां लोग कूड़ा फेंक दिया करते थे। इसके खिलाफ प्रदर्शन करने वाले लोगों का कहना था कि हो सकता है कि इससे सफाई में मदद मिले लेकिन इससे धार्मिक भावनाएं आहत हो सकती हैं। पीसीएमसी ने इस आपत्ति को संज्ञान में लेकर आश्वस्त किया है कि अब ऐसा और कहीं नहीं किया जाए।

फुटपाथ पर 'भगवान' रखने से लोगों ने कूड़ा फेंकना बंद कर दिया
जानकारी के मुताबिक, इस तरह की कोशिशें एक महीने पहले शुरू हुईं। निगडी के लोकमान्य तिलक हॉस्पिटल के बाहर फुटपाथ पर लोग ढेर सारा कचरा डाल देते थे। लोगों को रोकने के लिए फुटपाथ के किनारे एक पत्थर रखकर उस पर सिंदूर लगा दिया गया, जिससे लोग इस पत्थर को भगवान मानते हुए धार्मिक रूप से इसका सम्मान करें और कूड़ा ना फेंकें। बता दें कि हिंदू धर्म में कई मूर्तियों पर सिंदूर का लेप लगाया जाता है।

फुटपाथ पर धार्मिक प्रतीक लगाकर लोगों को कूड़ा फेंकने से रोका गया

इसका असर अगले ही दिन से दिखा और यहां लोगों ने कूड़ा डालना एकदम से बंद कर दिया । इस कोशिश का नतीजा देखकर नगर निगम ने इसका इस्तेमाल बढ़ा दिया। जगह-जगह देवी-देवताओं के पोस्टर लगा दिए गए। हालांकि, एक नई समस्या सामने आई। लोग इसे पूज्यनीय समझकर यहां पूजा करने लगे और नारियल तक तोड़ने लगे। इसका गलत इस्तेमाल और अंधविश्वास को बढ़ावा मिलते देख स्थानीय लोगों ने इसका विरोध किया। उन्होंने यह भी चिंता जताई कि इससे अवैध कब्जे को भी बढ़ावा मिल सकता है।

शिकायत के बाद बंद नगर निगम ने वापस लिया फैसला
मामले की शिकायत पीसीएमसी के उच्चाधिकारियों से की गई। कमिटी के सदस्य सागर चरण ने हमारे सहयोगी पुणे मिरर से बातचीत में बताया, 'भले ही नीयत सही रही हो लेकिन सड़क के किनारे इस पत्थर ने जगह घेर रखी है। इस पर सिंदूर लेपे जाने से धर्म विशेष की भावनाएं आहत हो सकती हैं। भविष्य में ऐसी कोशिशें नहीं की जाएंगी और हम इस तरह के कब्जे को बढ़ावा नहीं दे सकते हैं।'

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