पाकिस्तान को हर मोर्चे पर मिली थी मात

 नई दिल्ली
 
वैसे तो पाक ने कारगिल युद्ध की शुरुआत 3 मई 1999 को ही कर दी थी, जब उसने ऊंची पहाड़ियों पर 5,000 सैनिकों के साथ घुसपैठ कर कब्जा जमा लिया था। इस बात की जानकारी जब भारत सरकार को मिली तो सेना ने पाकिस्तानी सैनिकों को खदेड़ने के लिए ‘ऑपरेशन विजय’ चलाया। इस दौरान पाक सेना और कश्मीरी उग्रवादियों ने भारत और पाकिस्तान के बीच की नियंत्रण रेखा पार कर भारतीय जमीन पर कब्जा करने की कोशिश की। पाकिस्तान ने दावा किया कि लड़ने वाले सभी कश्मीरी उग्रवादी हैं, लेकिन युद्ध में बरामद हुए दस्तावेजों और पाकिस्तानी नेताओं के बयानों से साबित हुआ कि पाक सेना प्रत्यक्ष रूप में इस युद्ध में शामिल थी। लगभग 30 हजार भारतीय सैनिक और करीब पांच हजार घुसपैठिए इस युद्ध में शामिल थे। 

पाक में राजनैतिक और आर्थिक अस्थिरता बढ़ गई
कारगिल युद्ध के कारण पाकिस्तान में राजनैतिक और आर्थिक अस्थिरता बढ़ गई और तत्कालीन नवाज शरीफ की सरकार को हटाकर परवेज मुशर्रफ देश के राष्ट्रपति बन गए। उधर, दूसरी तरफ भारत में कारगिल युद्ध के दौरान देशप्रेम का उबाल देखने को मिला और भारत की अर्थव्यवस्था को काफी मजबूती मिली। इस युद्ध के बाद भारत सरकार ने रक्षा बजट और बढ़ाया। 

मिग-27 और मिग-29 के सामने पाकिस्तानी सेना ने घुटने टेके
भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के खिलाफ मिग-27 और मिग-29 का भी इस्तेमाल किया। इसके बाद जहां भी पाकिस्तान ने कब्जा किया था वहां बम गिराए गए। इसके अलावा मिग-29 की सहायता से पाकिस्तान के कई ठिकानों पर आर-77 मिसाइलों से हमला किया गया।

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