लोकसभा चुनाव: जहां से नींव पड़ी, वहीं गिरी गठबंधन की इमारत

 लखनऊ 
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की गोरखपुर और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की फूलपुर सीट और कैराना के उपचुनाव में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने भारतीय जनता पार्टी को हराकर 'गठबंधन की नींव' रखी थी। दोनों पार्टियों ने इसी दौरान तय किया था कि 'गठबंधन' करके प्रदेश में ज्यादा से ज्यादा सीटों को इसी 'गणित के सहारे' आगे लेकर जाएंगे लेकिन हुआ इसका उल्टा। इन तीनों सीटों पर 'गठबंधन की जमीन' ही खिसक गई। यहां तक कि गोरखपुर, फूलपुर और कैराना में गठबंधन का वोट प्रतिशत तक कम हो गया। हालांकि इसके लिए 'भाजपा के बेहतर प्रबंधन' के साथ गठबंधन में 'भरोसे का टूटना' एक बड़ी वजह साबित हुई। नतीजतन महज एक साल पहले हुए उपचुनाव के बाद लोकसभा के चुनावों में गठबंधन फेल हो गया। 

योगी के मुख्यमंत्री और केशव प्रसाद के डीप्टी सीएम बनने से खाली हुई थीं सीटें 
योगी आदित्यनाथ को जब मुख्यमंत्री और केशव प्रसाद मौर्य को उपमुख्यमंत्री बनाया गया तब दोनों लोगों ने क्रमश: गोरखपुर और फूलपुर सीटें छोड़ी थीं। तब उपचुनाव हुए और इस दौरान उम्मीद से उलट परिणाम आया जो सबको चौंका गया। गोरखपुर से ढाई दशक से योगी के गढ़ में सपा ने परचम लहराया। वहीं, फूलपुर में भी सपा ने ही जीत दर्ज की। दोनों सीटों पर बसपा और अन्य दलों ने समर्थन किया था। यहां पर हुई जीत ने सपा और बसपा की नजदीकियां और बढ़ा दी थीं। उसी चुनाव के बाद कयास लगाए जाने लगे कि सपा बसपा और रालोद का भविष्य के चुनावों के लिए गठबंधन हो जाएगा। 

सब जगह पचास फीसदी से ज्यादा वोट मिले भाजपा को 
इस बार तीनों लोकसभा सीटों पर पचास फीसदी से ज्यादा वोट तो अकेले भाजपा को ही मिले जबकि उपचुनाव में यह वोट प्रतिशत बहुत कम हो गया था। 

गोरखपुर 
यहां इस बार भाजपा के रवीन्द्र श्यामनारायण शुक्ला उर्फ रवि किशन को जहां 60 फीसदी से ज्यादा वोट मिले वहीं उपचुनाव में यहां से भाजपा को महज 46 फीसदी मत ही मिले थे। जबकि उपचुनाव में बसपा समर्थित सपा के प्रवीण निषाद को 49 फीसदी वोट मिले थे और वह सांसद बने थे। इस बार सपा-बसपा गठबंधन को गोरखपुर में 35 प्रतिशत मत मिले। पिछली बार के मुकाबले यह 14 फीसदी कम है। 

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