ऐसा हुआ हाल- बड़े-बड़े सूरमा ज़मीन पर आ गए, कई जगह इतिहास बदल गया

भोपाल 
2019 लोकसभा चुनाव के नतीजे कई मायनों में खास रहे हैं. एक तरफ जहां कांग्रेस के बड़े-बड़े सूरमा ज़मीन पर आ गए तो वहीं सालों पुराना इतिहास भी बदल गया. आखिर का 2019 चुनाव किन मायनों में खास रहा और इस चुनाव में कितने टूटे रिकॉर्ड, आगे पढ़िए

लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजों ने कई पुरानी मान्यताओं को पलट कर रख दिया. एक तरफ जहां अजेय समझे जाने वाले नेताओं का महल ढह गया तो वहीं वनवास के बाद राजनीति में एंट्री की ख्वाहिश रखने वालों की किस्मत में फिर वनवास लिख गया. इस चुनाव ने कई पुराने मिथक भी तोड़े हैं. रिकॉर्ड से भरपूर ये लोकसभा चुनाव कई और मायनों में खास रहा.

लोकसभा चुनाव 2019 में सबसे चौंकाने वाला नतीजा ग्वालियर-चंबल से आया. इस संभाग में इस बार दो सबसे बड़े बदलाव हुए.गुना-शिवपुरी संसदीय सीट से सिंधिया घराने का कोई सदस्य पहली बार चुनाव हारा.ये भी पहली बार हुआ कि ग्वालियर-चंबल संभाग की सभी 4 सीटें बीजेपी के खाते में गईं.बीजेपी ने प्रदेश में 29 में से 28 सीट जीतकर भी नया रिकॉर्ड बनाया है.बीजेपी ने इस बार 14 सांसदों के टिकट काटे थे.खास बात ये कि बीजेपी ने इन सभी 14 सीटों पर जीत दर्ज की.

सिर्फ नतीजों में ही नहीं रिकॉर्ड के लिहाज से मध्य प्रदेश इसलिए भी अहम रहा क्योंकि इस बार पूरे देश में सबसे ज्यादा बढ़ा हुआ वोट प्रतिशत एमपी में ही रिकॉर्ड हुआ था. ऐसे में सीटों को लेकर कई तरह की अटकलें थीं. लेकिन जब नतीजे सामने आए तो मोदी की आंधी में कांग्रेस के तमाम सूरमाओं के पैर उखड़ गए. ज्योतिरादित्य सिंधिया, दिग्विजय सिंह, कांतिलाल भूरिया, अजय सिंह, अरुण यादव जैसे कांग्रेसी दिग्गज हार गए. छिंदवाड़ा सीट कमलनाथ के बेटे नकुल नाथ ने जीती ज़रूर लेकिन महज 37 हजार वोटों से. इस चुनाव में प्रदेश में सिर्फ यही एक सीट रही जहां जीत का अंतर इतना मामूली रहा. बाकी हर सीट पर लाखों के अंतर से हार जीत का फैसला हुआ. मध्य प्रदेश में बीजेपी के 16 सांसद 3 लाख से ज़्यादा मतों से चुनाव जीते. तीन सांसद तो 5 लाख से ज़्यादा मतों से बाज़ी मार ले गए.

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