मौसम में घुली ठंडक अस्पतालों में फिर बढ़े मरीज

इंदौर
मौसम में घुली ठंडक से एक बार फिर अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ गई है। वायरल फीवर के मरीज इन दिनों अधिक देखे जा रहे हैं। वायरल फीवर के साथ ही इन दिनों पेट दर्द के मरीज भी अस्पतालों में पहुंच रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि पेट दर्द की समस्या दूषित पानी व खाद्य पदार्थ से हो रही है। इन दिनों लोगों को खानपान के प्रति सतर्क रहना चाहिए। जरा सी लापरवाही लोगों को बीमार बना रही है। गौरतलब है कि पिछले एक सप्ताह से अधिक समय से मौसम में ठंडक घुली हुई है। तेज धूप नहीं निकलने के चलते वायरस इन दिनों सक्रिय हैं। जिसका असर देखा जा रहा है।

सरकारी के साथ ही निजी अस्पतालों में भी ओपीडी में मरीजों की संख्या बढ़ गई है। एमवाय अस्पताल की मेडिसिन की ओपीडी में सबसे अधिक मरीज देखे जा रहे हैं। इन दिनों आम दिनों की अपेक्षा ओपीडी में 30 प्रतिशत तक मरीज बढ़े हैं। वहीं बच्चों में भी वायरल फीवर का असर देखा जा रहा है। जिला अस्पताल के वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. हेमंत द्विवेदी ने बताया कि बच्चों के खान-पान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। बारिश का पानी बोरवेलों और नलों के पानी में मिलकर घरों तक पहुंच रहा है। ऐसे में लोगों को खासकर बच्चों को पानी उबालकर ठंडाकर उसे छानकर पिलाना चाहिए। अधिकांश बीमारियों की वजह दूषित पानी ही है। इसके अलावा घर के बाहर की खुली खाद्य सामग्री का सेवन नहीं करना चाहिए। बारिश के मौसम में सड़कों व आसपास गंदगी रहती है। मच्छर, मक्खियों की भरमार रहती है। ऐसे में वे गंदगी पर बैठकर फिर खाद्य सामग्री पर बैठते हैं जो बीमारी की वजह बनती है।

वायरल का असर भी 5 से 7 दिन में जा रहा है। डेंगू, मलेरिया के बढ़ेंगे मरीज-इधर, बारिश के बाद ठंड का मौसम शुरू होने वाला है। जिसमें एक बार फिर डेंगू और मलेरिया के मरीज बढ़ने की संभावना है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने इसके लिए तैयारी शुरू कर दी है। हालांकि अब तक योजना सिर्फ कागजों पर बनाई गई है इसे जमीन पर नहीं उतारा गया है। हर वर्ष ठंड के मौसम में गंभीर बीमारियों के मरीजों की संख्या अधिक रहती है। जिनमें डेंगू मुख्य है जिसकी वजह से हर साल कई जानें जाती हैं। प्रदेश सरकार ने पिछले वर्ष भी डेंगू के फैलने के बाद जागरुकता अभियान शुरू किया। इस बार फिर विभाग इसमें लेट हो रहा है। पिछले वर्ष स्वाइन फ्लू के मरीज भी बड़ी संख्या में देखे गए थे। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि स्वाइन फ्लू का वायरस एच१एन१ पिछले साल अधिक सक्रिय था इसलिए दो से तीन साल बाद यह फिर एक्टिव होता है। ऐसे में इस वर्ष मरीज कम ही सामने आएंगे।

लगातार कर रहे स्क्रीनिंग
हम अस्पतालों में आने वाले मरीजों की लगातार स्क्रीनिंग कर रहे हैं। रिपीट होने वाले मरीजों का डाटा अलग रख रहे हैं। अस्पतालों में मरीजों को इलाज दिया जा रहा है। लोगों को थोड़ा सतर्क रहने की जरूरत है।
डॉ. प्रवीण जडिय़ा, सीएमएचओ

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