सुप्रीम कोर्ट से गैस पीड़ितों को बड़ी राहत

भोपाल
1984 की रात यूनियन कार्बाइड में हुए गैस कांड के पीड़ितों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने गैस पीड़ितों को मुआवजे के लिए यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन (यूसीसी) से 7413 करोड़ रुपए की अतिरिक्त राशि की मांग वाली याचिका को स्वीकार कर लिया है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने कहा कि वह पीड़ितों की मुआवजा राशि बढ़ाने के लिए केन्द्र सरकार व पीड़ितों की याचिका पर अप्रैल में सुनवाई करेगी। दरअसल भोपाल गैस त्रासदी मामले में 34 साल से लोग न्याय के लिए संघर्ष कर रहे है। जहरीली गैस से प्रभावित हुए लोग अब भी उचित इलाज, पर्याप्त मुआवजे, न्याय एवं पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति की लड़ाई लड़ रहे हैं। 

अतिरिक्त मुआवजे की राशि पर अप्रैल में होगी सुनवाई

इस मामले में गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन के संयोजक अब्दुल जब्बार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का हम स्वागत करते है क्योंकि त्रासदी के 34 साल बाद भी लोग न्याय के लिए संघर्ष कर रहे हैं। जहरीली गैस से प्रभावित लोग आज भी इलाज, मुआवजे, न्याय और पर्यावरण को हुए नुकसान की भरपाई के लिए लड़ रहे हैं। इसके लिए 2004 में सुप्रीम कोर्ट में सुधार याचिका दायर की गई थी। इसके बाद 2010 में केंद्र सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। इसमें सरकार ने माना था कि पीड़ितों को उचित मुआवजा नहीं मिला। इसी याचिका पर कोर्ट ने अप्रैल में सुनवाई करने के लिए कहा है। उन्होंने बताया कि 1989 में किए गए समझौते के समय यूनियन कार्बाइड ने 3 हजार मृतकों और 1.2 लाख प्रभावितों के लिए 715 करोड़ रूपए का मुआवजा दिया था। लेकिन असल में गैस त्रासदी में मरने वालों की संख्या 15,274 है, जबकि प्रभावितों की संख्या 5.74 लाख है। इसलिए इस राशि को बढ़ाकर पांच गुना किया जाना चाहिए। मतलब लगभग 35000 करोड़ रूपए। 

गौरतलब है कि 2-3 दिसंबर 1984 की रात भोपाल में यूनियन कार्बाइड के पेस्टीसाइड प्लांट में मिथाइल आइसोसाइनाइड का रिसाव हुआ था। जिसने भोपाल को जहरीला बना दिया था जिसमें 3000 से अधिक लोगों की मौत हुई थी और कई हजारों लोग बीमारी से अपंग हो गए।
 

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