मेडिकल कॉलेज में एडमिशन के बाद सीट छोड़ी तो देना होगा 30 लाख का आर्थिक दंड
भोपाल
मध्य प्रदेश के सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेजों के अलावा डेंटल कॉलेजों में एमबीबीएस व बीडीएस की सीटाें के लिए प्रवेश प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. हालांकि, इस बार छात्र को प्रवेश के बाद सीट छोड़ना भारी पड़ सकता है. राज्य सरकार ने आवंटन के बाद सीट छोड़ने पर (सीट लिविंग बॉन्ड) आर्थिक दंड तीन गुना कर दिया है. अब बॉन्ड के तहत सीट छोड़ने पर छात्र को 30 लाख रुपए देना होगा. बता दें कि पिछले वर्ष यह राशि 10 लाख रुपए थी. राशि जमा करवाने के बाद ही छात्र को उनके मूल दस्तावेज लौटाए जाएंगे. एमजीएम मेडिकल कॉलेज के प्रवक्ता डॉ. राहुल रोकड़े ने इसकी पुष्टि की है. इसके अलावा चिकित्सा शिक्षा विभाग ने इस सत्र से फीस में भी वृद्धि कर दी है.
अब एमबीबीएस कोर्स में प्रवेश लेने वाले छात्रों को 1.14 लाख रुपए हर साल शुल्क देना होगा. पिछले साल यह फीस 68 हजार रुपए थी. मुख्यमंत्री मेधावी छात्र योजना समेत अन्य श्रेणी के छात्रों के लिए शुल्क 14 हजार रुपए है. हालांकि, इन छात्रों को पांच साल की ग्रामीण क्षेत्र में सेवा का बैंक गारंटी बॉन्ड भरना पड़ता है.
बता दें कि चिकित्सा शिक्षा विभाग काउंसलिंग के दौरान सीट आवंटन के समय छात्रों से बंधपत्र भी भरवाता है. अगर कोई छात्र प्रवेश लेने के बाद सीट छोड़ दे तो उससे यह रकम वसूली जाती है. पहले सीट लिविंग बॉन्ड 5 लाख था. वर्ष 2017 में इसे बढ़ाकर 10 लाख रुपए कर दिया गया. अब इसे बढ़ाकर 30 लाख किया जा रहा है. कोई भी छात्र काउंसलिंग के अंतिम चरण के आखिरी दिन पढ़ाई के दौरान सीट छोड़ता है तो उसे निष्कासित कर आर्थिक दंड वसूला जाएगा.
अधिकारियों के मुताबिक, ऑल इंडिया और राज्य कोटा के छात्रों के लिए अलग-अलग मेरिट लिस्ट तैयार होती है. इसी आधार पर छात्र अलग-अलग राज्यों में शुल्क जमा करवाकर सीट आवंटित करवा लेते हैं. इसके बाद अपने पसंद का कॉलेज मिलने के बाद सीट छोड़ देते हैं, जिस कारण सीट खाली रह जाती है.