मायावती के पीछे खड़े हैं जाटव लेकिन अन्य दलित देंगे एसपी-बीएसपी को वोट?
आगरा
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आम चुनाव में अब कुछ ही दिन शेष बचे हैं और आगरा के जाटव बहुल बुद्ध विहार कॉलोनी में रहने वाले लोग एक बार फिर से बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की चीफ मायावती के प्रधानमंत्री बनने के सपने को सच होने की उम्मीद लगाए बैठे हैं। 25 फीसदी दलित जनसंख्या के कारण आगरा लोकसभा सीट यूपी की उन 17 सीटों में शामिल है जो अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है।
भारत सिंह कहते हैं कि मायावती दलित आंदोलन का प्रतीक हैं। उन्होंने कहा, 'लखनऊ और गौतम बुद्ध नगर का अंबेडकर उद्यान इस बात के उदाहरण है कि वह कितना मेहनत करती हैं और समुदाय की छवि को सुधारा है।' सिंह ने कहा कि जाटव कभी भी बीजेपी राष्ट्रवाद के जाल में नहीं फसेंगे। भगवा पार्टी कभी भी बालाकोट का मुद्दा उठाकर चुनाव जीत नहीं सकती है।
'कांग्रेस के नेता केवल चुनाव के समय आते हैं'
कॉलोनी में रहने वाले महेश जाटव ने कांग्रेस के बारे में कहा, 'कांग्रेस के नेता केवल चुनाव के समय आते हैं। बीएसपी सुप्रीमो मायावती के विपरीत उन्होंने (कांग्रेस नेता) समुदाय के लिए कुछ नहीं किया।' बुद्ध विहार से करीब 50 किमी दूर एक अन्य दलित बहुल गांव पुनेरा में कहानी दूसरी है। यहां के ज्यादातर ग्रामीण पासी और वाल्मिकी समुदाय से ताल्लुक रखते हैं जो दलित समुदाय का हिस्सा हैं।
पूर्व प्रधान अशोक कुमार वाल्मिकी कहते हैं, 'लोकसभा चुनाव परिणाम हमारे अगले पीएम का फैसला करेगा और मोदी सही उम्मीदवार हैं। हम एसपी और बीएसपी को क्यों वोट करें जब उनका कोई नेता पीएम नहीं बन सकता है? वे देश में अन्य जगहों पर चुनाव नहीं जीत सकते हैं और अन्य दलों के साथ गठबंधन कर रहे हैं।'
भीम आर्मी ने दलितों की महत्वाकांक्षा को बढ़ाया
नब्बे के दशक में दलित आंदोलन के अपने शुरुआती दिनों में बीएसपी जब सत्ता में आई थी तब उसने 'तिलक तराजू और तलवार, इनको मारो जूते चार' का नारा दिया था। इसके बाद से दलित अब काफी आगे बढ़ गए हैं। अब कोई भी अकेली पार्टी यह नहीं कह सकती है कि उसका पूरे दलित समुदाय के वोटों पर कब्जा है। उधर, भीम आर्मी जैसे संगठनों ने दलितों की महत्वाकांक्षा को और ज्यादा बढ़ा दिया है।
चुनाव चाहे लोकसभा के हों या राज्यसभा या विधानसभा के, किसी त्योहार से कम नहीं होते। हर बार ऐसी यादें भी रह जाती हैं जो चुनावी इतिहास के पन्नों पर दर्ज हो जाती हैं। आगे तस्वीरों में देखें, ऐसे ही कुछ ऐतिहासिक पल…
आज हम नतीजे घर से लेकर बाजारों तक में लगीं बड़ी-बड़ी स्क्रीन्स पर देखते हैं। तस्वीर में देखिए, नई दिल्ली में टाइम्स ऑफ इंडिया ऑफिस के पास स्कोरबोर्ड पर डिस्प्ले किए गए 1980 लोकसभा चुनाव के नतीजे।
इलाहाबाद में प्रचार करते अमिताभ बच्चन। 1984 लोकसभा चुनाव में अमिताभ बच्चन ने इलाहाबाद से चुनाव लड़ा था, उन्होंने एचएन बहुगुणा को हराया था। अमिताभ इस सीट से 1,87,795 मतों से जीते थे हालांकि तीन साल बाद उन्होंने राजनीति छोड़ने का ऐलान कर सांसद पद से इस्तीफा दे दिया था।