मध्य प्रदेश पुलिस: वीक ऑफ तो मिला लेकिन वेतन नहीं

ग्वालियर
मध्यप्रदेश पुलिस को वीक ऑफ तो मिल गया है, लेकिन स्पेशल आर्म्ड फोर्स के 78 जवान ऐसे हैं जो तीन महीने से वेतन के लिए तरस रहे हैं. पुलिस मुख्यालय की लापरवाही की वजह से इनका वेतन अटका हुआ है.

दरअसल, स्पेशल आर्म्ड फोर्स की तेरहवीं बटालियन के 78 कांस्टेबल को वेतन फाइनेंस सेल में मेपिंग न होने के कारण रोक दिया गया है. ये कांस्टेबल 20 महीने की प्रतिनियुक्ति से लौटें हैं. तीन महीने से वेतन न मिलने के कारण यह कांस्टेबल परेशान हैं, लेकिन तमाम जगहों पर शिकायत होने की वजह से इनकी कहीं सुनवाई नहीं हो रही है.

ग्वालियर से 31 दिसंबर 2016 को 13 वीं बटालियन के 78 कांस्टेबलों को स्टेट इंडस्ट्रियल फोर्स में प्रतिनियुक्ति पर भेजा गया था, जहां से उन्हें सारणी स्थित विद्युत तापग्रह में पदस्थ किया गया था. पॉवर प्लांट में सुरक्षा की जिम्मेदारी निभाने के बाद इन आरक्षकों की प्रतिनियुक्ति अगस्त 2018 में खत्म हो गई. प्रतिनियुक्ति खत्म होने के बाद सभी कांस्टेबलों को 13 बटालियन बैतूल भेज दिया गया, लेकिन इसके बाद इन्हें वेतन मिलना बंद हो गया.
 
ग्वालियर बटालियन के अफसरों ने वेतन से जुड़े तमाम दस्तावेजों को पुलिस मुख्यालय भेज दिया है. अब पुलिस मुख्यालय की योजना शाखा में मामला अटका हुआ है. इन कांस्टेबलों को मासिक वेतन 36 हजार से 52 हजार रुपए तक मिलता है. पुलिस मुख्यालय की प्लानिंग शाखा से जुड़े अफसरों का कहना है कि फायनेंस सेल में मेपिंग न हो पाने के कारण वेतन नहीं मिल पर रहा है. आरक्षकों का रिकॉर्ड फाइनेंस सेल में मेपिंग के लिए गया है. प्रतिनियुक्ति पर सभी आरक्षकों का वेतन सीआईएसएफ दे रहा था.

तीन महीने से वेतन नहीं मिलने की वजह से पुलिस जवान परेशान हैं. पुलिस मुख्यालय से लेकर एसएएफ मुख्यालय के अफसरों से शिकायत की गई. लेकिन अफसरों की सुस्त कार्यप्रणाली की वहज से मामला अब फाइनेंस सेल में अटक गया है.

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