भूख हड़ताल पर बैठे देश की सुरक्षा का साजो-सामान बनाने वाली HAL के 500 कर्मचारी

नई दिल्ली
सैलरी बढ़ाने की मांग को लेकर सरकारी कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के करीब 500 कर्मचारी अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर चले गए हैं. ये सभी कर्मचारी दूसरी सार्वजनिक कंपनियों के बराबर वेतन देने और अधिकारियों की तर्ज पर ही वेतन की समीक्षा करने की मांग कर रहे हैं.

गौरतलब है कि HAL वही कंपनी है जिसे यूपीए सरकार के तहत हुए सौदे के तहत भारत में राफेल विमान का निर्माण करना था, लेकिन मोदी सरकार ने जब फ्रांस की सरकार के साथ नया सौदा किया तो इसमें यह काम अनिल अंबानी समूह की निजी कंपनी को सौंप दिया गया. इसको लेकर भी काफी विवाद और राजनीति होती रही है.

एचएएल की सभी कर्मचारी यूनियनों के मुख्य संयोजक सूर्यदेवरा चंद्रशेखर ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया, 'साल 2017 से ही हमारे वेतन का समायोजन नहीं हो पाया है. इसलिए हम अनश्चित काल के लिए भूख हड़ताल कर रहे हैं. यह सात राज्यों की एचएएल की सभी नौ यूनिट में जारी है.'  

यूनियन नेता ने कहा कि एग्जीक्यूटिव की तर्ज पर ही वेतन देने के मामले को निपटाने के लिए कंपनी का प्रबंधन आगे नहीं आ रहा है. उन्होंने कहा, 'एग्जीक्यूटिव्स के वेतन का निपटारा नवंबर 2017 में ही हो गया है. हमारी बातचीत जारी है, लेकिन अभी तक यह बेनतीजा रही है. इसलिए यह गतिरोध बना है.'  

दूसरी तरफ, कंपनी प्रबंधन का कहना है कि उनका विवाद अस्थायी है. यूनियन का यह दावा सही नहीं है कि एचएएल मैनेजमेंट जानबूझ कर वेतन निपटारे में देर कर रहा है. इस बारे में नौ दौर की वार्ता पहले हो चुकी है. कंपनी ने एक बयान में कहा कि एग्जीक्यूटिव के मुकाबले या उनसे ज्यादा फायदे और भत्तों की मांग यूनियन द्वारा करना न तो तार्किक है और न ही न्यायोचित, एग्जीक्यूटिव्स की सैलरी की समीक्षा दस साल बाद 1 जनवरी, 2017 में की गई थी. दूसरी तरफ, इस दौरान बाकी कर्मचारियों के वेतन में दो बार बढ़त हो चुकी है.

एचएएल का प्रबंधन यह मानता है कि कर्मचारियों के वेतन में 1 जनवरी, 2017 से समीक्षा तभी हो सकती है, जब यूनियनें सहयोग करें और उनकी मांगें यथार्थवादी और वाजिब हों.

कुछ महीने पहले ऑल इंडिया हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के कर्मचारियों के एक समूह ने एनडीए सरकार पर कंपनी को खस्ताहाल बनाकर बंद करने की साजिश रचने का आरोप लगाया. इन कर्मचारियों ने सरकार से राफेल सौदे के तहत बाकी 90 प्लेन का प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के जरिये एचएएल में बनाने का ठेका दिए जाने की मांग की. कर्मचारियों ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की थी और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण पर कंपनी की क्षमता को लेकर गलत कहानी गढ़ने का आरोप लगाया था.

बता दें कि राफेल विमान सौदे में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए राहुल गांधी लगातार सरकार पर एचएएल की अनेदखी करते हुए रिलायंस डिफेंस को तरजीह देने का आरोप लगाते रहे हैं. हालांकि, सरकार ने सभी आरोपों को खारिज कर दिया है.

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