भागती है, पर कहीं पहुंचती नहीं ‘Fast & Furious: HOBBS & SHAW’

लंदन
हॉलीवुड की एक्शन फिल्मों में ‘फास्ट एंड फ्यूरियस’ सिरीज की एक खास जगह है। शृंखला की पिछली फिल्मों की तरह इस बार की फिल्म  ‘फास्ट एंड फ्यूरियस: हॉब्स एंड शॉ’ में भी सारे पुराने मसाले हैं, जैसे-  स्पीड, एक्शन, रोमांच और कॉमेडी का तड़का। पर फिर भी यह फिल्म मनोरंजन की वो खुराक आपको नहीं दे पाती, जिसकी उम्मीद लेकर आप सिनेमाघर जाते हैं।

कहानी की बात करें, तो एमआई-6 नामक खूफिया एजेंसी के कुछ अधिकारी खतरनाक वायरस ‘स्नोफ्लेक’ को हासिल करने के मकसद से एक मिशन पर जाते हैं। मिशन के दौरान उनका साबका ब्रिक्सटन लोर (इदरीस अल्बा) से होता है, जो खुद को ‘विलेन’ कहता है। ऑपरेशन के दौरान कुछ ऐसे हालात बनते हैं कि एमआई-6 की अधिकारी हॉती शॉ (वैनेसा कर्बी) को वह खतरनाक वायरस स्नोफ्लेक हासिल करने के लिए उसे अपने शरीर में इन्जेक्ट करना पड़ता है। इसके बाद टीवी पर ऐसी खबरें आती हैं कि हॉती शॉ ने अपने साथियों को मार दिया और खुद स्नोफ्लेक लेकर फरार हो गई। कितनी सच्चाई है इस बात में? उधर इस मामले को सुलझाने के लिए बेहद काबिल खूफिया अधिकारियों ल्यूक हॉब्स (ड्वेन जॉनसन) और डेकर्ड शॉ (जेसन स्टैदम) को नियुक्त किया जाता है। अगर आप यह सिरीज देखते रहे हैं, तो जानते होंगे कि ये दोनों एक-दूसरे को बिलकुल पसंद नहीं करते। पर अगर दुनिया को बचाना है, तो इन्हें आपसी नफरत भुलाकर साथ काम करना होगा। क्या ये ऐसा कर पाएंगे?

ड्वेन जॉनसन ने हमेशा की तरह इस फिल्म में भी जमकर एक्शन किया है जिसमें वह जमे भी हैं। जेसन स्टैदम के साथ जब-जब वह परदे पर आते हैं, कुछ जादू सा होता है। हालांकि यह जादू फिल्म को अगले स्तर तक ले जाने के लिए काफी नहीं मालूम होता। फिल्म के कुछ एक्शन दृश्य बेहद प्रभावी बन पड़े हैं, विशेष तौर पर वह दृश्य, जिसमें ड्वेन जॉनसन एक उड़ते हुए हेलीकॉप्टर को जंजीर में बांधकर अपने हाथों से रोक लेते हैं। इसके अलावा चट्टानों और झरनों वाले जिस इलाके में फिल्म के अंत की शूटिंग हुई है, वह फिल्मांकन भी बेहद प्रभावी है। फिल्म का संपादन भी कुछ और कसा हुआ हो सकता था, 135 मिनट की इसकी लंबाई कुछ और कम हो सकती थी। कुछ दृश्य गैर-जरूरी मालूम होते हैं। वैनेसा कर्बी बेहद खूबसूरत लगी हैं और उन्होंने काम भी अच्छा किया है। विलेन के रूप में इदरीस अल्बा अपनी छाप छोड़ते हैं। सायबर-जेनेटिक तकनीक से एक शक्तिशाली अपराधी बन चुके ब्रिक्सटन के किरदार में वह दमदार लगते हैं। भारी-भरकम शरीर वाले ड्वेन जॉनसन के सामने वह कहीं से भी कमतर नहीं लगते। हिंदी में डब संवाद किरदारों के हिसाब से लिखे गए हैं। गनीमत रही कि इस बार किसी किरदार को हरियाणवी, गुजराती या भोजपुरी लहजा नहीं दिया गया। हॉलीवुड फिल्मों में ऐसा होने पर अकसर संवादों का मर्म खत्म हो जाता है। एक्शन पसंद करने वालों को फिल्म पसंद आएगी। हालांकि इसके कथानक में नएपन और ताजगी की घोर कमी है।

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