बेटियों को दोपहिया वाहन देने में सरकार का आर्थिक संकट बना रोड़ा

भोपाल
खराब वित्त प्रबंधन के चलते सरकारी खजाना खाली है, जिसकी वजह से कमलनाथ सरकार को बेटियों से किया गया चुनावी वादा पूरा करने में पसीना छूट रहा है। नया सत्र शुरु होने के बाद भी सरकार इस मामले में अब तक एक कदम भी आगे नहीं बढ़ा पायी है। हालात यह है कि विभाग भी इसको लेकर असमंजस की स्थिति में है। फंड की कमी से जूझ रही कमलनाथ सरकार को अपने वचन पूरा करने में दिक्कत हो रही हैं।

गौरतलब है कि कांगे्रस ने वादा किया था कि सरकार बनने पर स्कूल पास कर कालेज में जाने वाली छात्राओं को रियायती ब्याज दर पर स्कूटी मुहैया कराएगी। इतना ही नहीं वाहन का आरटीओ से नि:शुल्क पंजीयन भी करवाया जाएगा। अब नया शिक्षा सत्र शुरू होने के बाद भी सरकार यह तय नहीं कर पा रही है कि आखिर लड़कियों को स्कूटी खरीदने के लिए ब्याज दर में कितनी छूट दी जाए । सामान्य तौर पर यदि चार से पांच फीसदी के ब्याज में रियायत दी जाती है तो सरकार पर 200 से 250 करोड़ से ज्यादा का अतिरिक्त भार आएगा। उच्च शिक्षा विभाग उस रास्ते की तलाश में है कि वचन भी पूरा हो जाए और सरकार पर कम से कम भार भी आए। इसके लिए विभाग ने समिति बनाने का प्रस्ताव तैयार किया है जो रियायती ब्याज दर तय करेगी। अंतर विभागीय समिति के प्रस्ताव को मंजूरी के लिए मुख्य सचिव के पास भेजा गया है।

विभागीय अनुमान के अनुसार प्रदेश में 3.5 लाख छात्राएं हैं। एक फीसदी की ब्याज सब्सिडी पर 1500 रुपए प्रति छात्रा के हिसाब से 3.5 लाख छात्राओं के लिए अनुमानित वित्तीय भार 52.5 करोड़ आएगा। सरकार यदि चार प्रतिशत सब्सिडी देगी तो 200 करोड़ और 5 प्रतिशत सब्सिडी पर 250 करोड़ से ज्यादा का अतिरिक्त बोझ सरकार के कंधों पर आएगा।

2019-20 के लिए उच्च शिक्षा विभाग का बजट 2343 करोड़ है। इसमें सरकार को स्थापना व्यय के साथ छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना है। कालेजों मेें खाली 60 प्रतिशत पदों पर भर्ती करना है। भवन निर्माण जैसे कार्य भी हैं।

कांगे्रस ने शिक्षा से जुड़ा एक और वचन दिया था। इसके अनुसार देवी अहिल्याबाई होल्कर नि:शुल्क शिक्षा योजना में लड़कियों को स्कूल से लेकर कालेज तक मुफ्त शिक्षा दी जाएगी। इसमें सरकारी स्कूल और कालेज ही शामिल किए गए हैं। सरकार ने डीपीआर तैयार कर ली है। इसमें 60 करोड़ रुपए का सालाना संभावित व्यय दिखाया गया है। प्रस्ताव जल्द ही कैबिनेट में प्रशासकीय मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।

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