बिलासपुर-रायपुर फोरलेन 14 अगस्त तक हर हाल में पूरी की जाए और 15 से शुरू : हाईकोर्ट

बिलासपुर
 हाईकोर्ट ने बिलासपुर से रायपुर तक बन रहे फोरलेन के काम को हर हाल में 14 अगस्त की शाम तक पूरा करने और 15 अगस्त से शुरू का निर्देश  दिया है।  काम का ठेका तीन कंपनियों को दिया गया था। दो कंपनियों एल एंड टी और पुंज लॉयड के हिस्से का काम अब तक बचा हुआ है।  बिलासपुर से सरगांव तक दिलीप बिल्डकॉन को मिला काम पूरा कर लिया गया है।

वहीं, फोरलेन निर्माण के लिए किए गए जमीन अधिग्रहण के एवज में दिए जाने वाले मुआवजे की राशि 40 करोड़ से बढ़कर 360 करोड़ होने के मामले में हाईकोर्ट ने 14 अगस्त तक जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। पिछली कुछ सुनवाई में समय देने के बाद भी रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की जा सकी है। बिलासपुर से रायपुर तक फोरलेन के निर्माण के लिए 2015 में वर्क ऑर्डर जारी किया गया था। तीन हिस्सों में काम के लिए ठेका दिया गया। एग्रीमेंट के मुताबिक ठेका कंपनियों को अप्रैल-मई 2018 तक काम पूरा करना था।

हाईकोर्ट ने नवंबर 2017 में सुनवाई करते हुए 31 मई 2018 तक की डेडलाइन तय की थी, लेकिन इस अवधि में भी काम पूरा नहीं हो सका। इसके बाद हुई कुछ सुनवाई के दौरान ठेका कंपनियों ने पर्याप्त मात्रा में सीमेंट नहीं मिलने की वजह से काम में परेशानी होने की जानकारी दी गई थी। बता दें कि बिलासपुर से रायपुर तक बन रहे हो फोरलेन के काम में लगातार लेटलतीफी  को लेकर रजत तिवारी व अन्य ने हाईकोर्ट में 2016 में जनहित याचिका प्रस्तुत की थी।

पैसे को लेकर आमने-सामने आए पुंज लॉयड और एनएचएआई : वहीं, पुंज एंड लॉयड ने आर्थिक परेशानियों का हवाला दिया। चीफ जस्टिस पीआर रामचंद्र मेनन और जस्टिस मनींद्र मोहन श्रीवास्तव की बेंच में सुनवाई के दौरान पुंज लॉयड की तरफ से बताया गया कि उनका 7.84 करोड़ रुपए का भुगतान एनएचएआई के पास अटका हुआ है। एनएचएआई की तरफ से सीनियर एडवोकेट जेके गिल्डा ने काम में देरी के कारण कंपनी पर पेनाल्टी लगाने की जानकारी दी। हाईकोर्ट ने इस राशि का 70 फीसदी पुंज लॉयड को देने के निर्देश दिए हैं। हाईकोर्ट ने हर हाल में 14 अगस्त की शाम तक काम पूरा कर 15 अगस्त को फोरलेन शुरू करने के लिए कहा है।

मुआवजा राशि 9 गुना बढ़ने पर भी मांगी गई रिपोर्ट : पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान एनएचएआई की तरफ से आरोप लगाया गया था कि फोरलेन के काम के लिए किसानों की जमीन का अधिग्रहण किया गया था, उस दौरान मुआवजे के रूप में 40 करोड़ रुपए दिए जाने थे। मुआवजे की राशि 40 करोड़ से बढ़कर 360 करोड़ रुपए हो गई है। एनएचएआई ने इसकी जांच की मांग की थी। राज्य सरकार की तरफ से पिछली सुनवाई के दौरान जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आश्वासन दिया गया था, लेकिन अब तक इसे प्रस्तुत नहीं किया जा सका है। सोमवार को सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने जांच पूरी कर 14 अगस्त तक शपथ पत्र के साथ रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।

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