पीएम नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में सेंसेक्स ने दिया 9.37% का सालाना रिटर्न

 मुंबई 
पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनने के बाद शेयर बाजार ने हर साल करीब 9.37 प्रतिशत रिटर्न दिया है। हालांकि अगर इसकी तुलना पहले की सरकारों से करें तो यह कम है लेकिन, कुछ मार्केट एक्सपर्ट का कहना है कि इस आंकड़े में सितंबर 2013 से मई 2014 के आंकड़े शामिल नहीं है। इस अवधि में मोदी के चुनाव जीतने की उम्मीद में शेयर बाजार में अच्छी तेजी आई थी।  

मई के आखिरी हफ्ते में एनडीए सरकार बनी थी और तबसे सेंसेक्स ने कंपाउंड बेसिस (चक्रवृद्धि आधार) पर 9.37 प्रतिशत का रिटर्न दिया। उसके बाद से पिछले शुक्रवार तक सेंसेक्स में कुल 56 पर्सेंट और निफ्टी में करीब 58 पर्सेंट की तेजी आई। 2005-2007 के बाद मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान मिड और स्मॉल कैप शेयरों का प्रदर्शन सबसे अच्छा रहा। मई 2014 के बाद मिड कैप इंडेक्स में सालाना 12.68 प्रतिशत और स्मॉल कैप इंडेक्स में 10.85 प्रतिशत की तेजी आई। 2018 की शुरुआत तक दोनों इंडेक्स का प्रदर्शन बहुत अच्छा रहा।

घरेलू निवेशकों का जबरदस्त सपॉर्ट 
मोदी सरकार के कार्यकाल में शेयर बाजार को घरेलू निवेशकों का जबरदस्त सपॉर्ट मिला। सरकार के काले धन पर सख्ती बढ़ाने से घरेलू निवेशकों ने रियल एस्टेट और गोल्ड के बजाय इक्विटी मार्केट में निवेश बढ़ाया। म्यूचुअल फंड और इंश्योरेंस कंपनियों सहित डोमेस्टिक इंस्टीट्यूशंस ने पिछले पांच साल में बाजार में 3.85 लाख करोड़ और विदेशी निवेशकों ने 2.11 लाख करोड़ रुपये लगाए। रिटेल निवेशकों के रिकॉर्ड इनवेस्टमेंट से बेंचमार्क इंडेक्स नए शिखर पर पहुंच गए, लेकिन इस बीच कंपनियों की प्रॉफिट ग्रोथ सुस्त बनी रही। इकनॉमी और कंपनियों की प्रॉफिट ग्रोथ पर 2016 में नोटबंदी के ऐलान और जुलाई 2017 में गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) के लागू होने से बुरा असर पड़ा।

मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशल सर्विसेज के ज्वाइंट मैनेजिंग डायरेक्टर रामदेव अग्रवाल ने बताया, 'कंपनियों की प्रॉफिट ग्रोथ पिछले पांच साल से कमजोर बनी हुई है, जबकि इस बीच शेयरों का वैल्यूएशन काफी बढ़ा है।' 50 कंपनियों वाले निफ्टी का अर्निंग पर शेयर (ईपीएस) 2014-2017 के बीच 369 से 388 रुपये के बीच रहा, जो 2019 में 409 रुपये तक पहुंचा है। फंड मैनेजरों और ब्रोकरेज हाउसों ने बताया कि अगले साल ईपीएस में और बढ़ोतरी हो सकती है, लेकिन उसमें कॉरपोरेट सेक्टर को कर्ज देने वाले बैंकों का बड़ा रोल होगा।

एक बड़े म्यूचुअल फंड के सीनियर फंड मैनेजर ने बताया, 'निवेशकों का धीरज अब तक बना हुआ है। हालांकि, कभी न कभी वे यह सवाल जरूर करेंगे कि कहीं वे अधिक वैल्यूएशन तो नहीं चुका रहे हैं।' अटल बिहारी वाजपेयी की एनडीए सरकार के बाद मोदी के कार्यकाल में शेयर बाजार का रिटर्न सबसे कम रहा है। पिछले दो दशकों में शेयर बाजार के लिए सबसे अच्छा वक्त 2004 से 2009 के बीच रहा, जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे। उस दौरान सेंसेक्स में कुल 180 पर्सेंट और सालाना आधार पर 22.9 पर्सेंट की तेजी आई थी। यूपीए 2 के दौरान सेंसेक्स 77.98 पर्सेंट यानी सालाना 12.22 पर्सेंट चढ़ा था। हालांकि, सितंबर 2013 से मई 2014 के बीच मोदी लहर के चलते बाजार में तेजी नहीं आई होती तो यूपीए 2 का रिटर्न काफी कम होता। 1 सितंबर 2013 से 30 मई 2014 के बीच निफ्टी में 32 पर्सेंट की तेजी आई थी। 
 

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