पानी के लिए तरसेगा पाक, रोकने की कवायद शुरू

मुंबई
केंद्रीय जल संसाधन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा है कि सरकार हिमालय की नदियों के उस पानी को रोकने का प्रयास कर रही है, जो बहकर पाकिस्तान में जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि इसमें सिंधु जल समझौते का उल्लंघन भी नहीं किया जा रहा है। शेखावत ने बताया कि इस पानी को रोकने का काम शुरू कर दिया गया है।
गौरतलब है कि पुलवामा हमला और उसके जवाब में बालाकोट स्ट्राइक्स के बाद से ही भारत-पाकिस्तान के संबंध दिन-ब-दिन बिगड़ते ही जा रहे हैं। ऐसे में केंद्रीय मंत्री का यह बयान काफी मायने रखता है। इसके अलावा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के कई उपबंधों को हटाने और जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित करने के साथ-साथ उसका विभाजन करने के बाद पाकिस्तान बुरी तरह तिलमिलाया हुआ है।

बौखलाया हुआ है पाकिस्तान
5 अगस्त को भारत के इस फैसले के बाद पाकिस्तान ने अपने राजदूत को भी वापस बुला लिया था। जम्मू-कश्मीर के हालात देखते हुए पाकिस्तान ने आरोप लगाए थे कि भारत युद्ध छेड़ने की कोशिश में है। पाकिस्तान ने यह भी कहा था कि भारत ने सतलज नदी में बांध का पानी छोड़ने से पहले पाकिस्तान को नहीं बताया, जिससे वहां बाढ़ आ गई।

इस बारे में गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा, 'मुद्दा यह है कि कैसे हम अतिरिक्त पानी को पाकिस्तान जाने से रोक सकते हैं और उसका इस्तेमाल कर सकते हैं। कुछ जल स्रोत और नदियां ऐसी हैं लेकिन वे उस जलग्रहण क्षेत्र से काफी दूर हैं। हम उस पानी को डायवर्ट करेंगे, जिससे बाद में उसका इस्तेमाल किया जा सके। अभी हमारे सभी जलाशय भरे हुए हैं लेकिन हम पाकिस्तान जाने वाले पानी को रावी नदी में डायवर्ट कर सकते हैं।'

'अतिरिक्त पानी को करेंगे डायवर्ट'
गजेंद्र शेखावत ने यह भी कहा कि बांध सिर्फ बिजली बनाने के लिए ही नहीं बल्कि जरूरत के समय पानी का इस्तेमाल करने के लिए भी बनाए गए हैं। आपको बता दें कि 1960 में भारत-पाकिस्तान के बीच हुआ सिंधु जल समझौता दोनों देशों के बीच नदियों के पानी के बंटवारे को निर्धारित करता है। जिसके मुताबिक, भारत को ब्यास, रावी और सतलज नदियों का और पाकिस्तान को सिंधु, झेलम और चेनाब का पानी मिलता है।

अब पाकिस्तान की नदियों को भारत से खूब पानी मिलता है, इसलिए समझौते के मुताबिक, भारत सिंधु, चेनाब और झेलम के पानी का इस्तेमाल सीमित सिंचाई के लिए कर सकता है। इसके अलावा भारत बिजली उत्पादन, घरेलू उपयोग, उद्योगों और नैविगेशन और अन्य कई कामों में इन नदियों के पानी का इस्तेमाल कर सकता है।

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