पश्चिम बंगाल: लोकसभा नतीजों के बाद ममता का मंथन, बुलाई पार्टी नेताओं की बैठक

 
कोलकाता 
लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजे आने के बाद पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की अगुआई वाली तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) को बड़ा झटका लगा है। बीजेपी ने राज्य में शानदार प्रदर्शन करते हुए 18 सीटें हासिल की हैं। वहीं टीएमसी अपने पिछले प्रदर्शन को नहीं दोहरा सकी है। अब सीएम ममता बनर्जी ने नतीजों के बाद पैदा हुए हालात पर चर्चा के लिए अपने नेताओं की बैठक बुलाई है।  

टीएमसी सुप्रीमो ममता ने कोलकाता के कालीघाट स्थित अपने आवास पर शनिवार को पार्टी के नेताओं को मंथन के लिए बुलाया है। इस बैठक में पार्टी के सभी बड़े नेताओं को मौजूद रहने के निर्देश दिए गए हैं। माना जा रहा है कि इस बैठक के दौरान लोकसभा चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन पर चर्चा होगी। सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में टीएमसी विधायकों को भी बुलाया गया है। 
 
राज्य में दो साल बाद यानी 2021 में विधानसभा चुनाव हैं और बीजेपी के उभार को देखते हुए टीएमसी की चिंताएं बढ़ रही हैं। इससे पहले ममता ने काउंटिंग के दौरान ट्वीट में कहा था, 'विजेताओं को बधाई। लेकिन सभी हारनेवाले लूजर्स नहीं हैं। हम इसपर पूरी समीक्षा करके आपसे विचार साझा करेंगे। पहले वोटों की गिनती और वीवीपैट से मिलान पूरा होने दिया जाए।' 
 
सीपीएम की दशकों पुरानी सत्ता को 2011 में खत्म करने के बाद बंगाल में टीएमसी को बीजेपी से लगातार कड़ी चुनौती मिल रही है। पंचायत चुनाव में भी बीजेपी मुख्य विपक्षी उभरी थी। लोकसभा चुनाव के प्रचार अभियान के दौरान पीएम मोदी ने श्रीरामपुर की एक रैली में कहा था, 'दीदी 23 मई को नतीजे आने के बाद कमल खिलेगा और देखना आपके एमएलए आपका साथ छोड़ देंगे। टीएमसी के 40 विधायक मेरे संपर्क में हैं और दीदी आपका बचना मुश्किल है।' 
 
अपने गढ़ में हारी टीएमसी 
इस बार के लोकसभा चुनाव में टीएमसी को अपने गढ़ में भी बीजेपी से शिकस्त झेलनी पड़ी है। हुगली लोकसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी लॉकेट चटर्जी ने टीएमसी कैंडिडेट रत्ना डे को मात दी है। दिलचस्प बात यह है कि हुगली में ही ममता बनर्जी ने भूमि अधिग्रहण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू किया था। उसी के बाद वह राष्ट्रीय राजनीति में उभरकर आई थीं। टाटा मोटर्स ने करीब 10 साल पहले दुनिया की सबसे सस्ती कार नैनो बनाने के लिए सिंगूर में फैक्ट्री बनाई थी लेकिन यहां किसानों के विरोध प्रदर्शन के बाद कंपनी को फैक्ट्री गुजरात में शिफ्ट करनी पड़ी थी। इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व ममता बनर्जी ने किया था। उस वक्त गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी थे।

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